Latest:
Event More News

ग्रामीण क्षेत्रों के प्राइमरी स्कूलों की हालत बेहद खराब…जान जोखिम में डालकर बच्चे पढ़ने को मजबूर…मरम्मत हेतु 500 करोड़ रुपए की राशि है मंजूर…कहां,कितने स्कूल है खराब…पढ़ें पूरी खबर

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

जशपुर (छत्तीसगढ़ )वर्तमान भारत। प्रदेश की जशपुर जिले के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइमरी स्कूलों की हालत बेहद खराब स्थिति में है। बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं। जिले की बदहाल स्कूल भवनों की जानकारी कई बार शिक्षा विभागके अधिकारियों को देने के पश्चात पिछले दो दशक तक विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की थी। लेकिन हाल ही में अब राज्य में विभिन्न स्कूल भवनों की मरम्मत और रखरखाव हेतु 500 करोड़ रुपए की धनराशि मंजूर की गई है।

जशपुर जिले के स्कूलों की मरम्मत कार्य के लिए 48 करोड़ रुपए की राशि जिले को प्राप्त हुई है। मुख्यमंत्री ने खुद इस बात को गंभीरता से लेते हुए धनराशि स्वीकृत करते हुए और मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिया कि जून 2023 में अगले शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ होने से पूर्व स्कूल भवनों की मरम्मत और रखरखाव का कार्य पूर्ण कर लिया जाए। विभाग द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार जिले भर में 525 स्कूल भवन की हालत बेहद खराब स्थिति में है।

इतनी अधिक संख्या में स्कूलों में मरम्मत की सख्त जरूरत है। बदहाल भवन की वजह से बरसात के दिनों में स्कूली बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था बनानी पड़ती थी। पिछली बरसात में बगीचा ब्लॉक के माध्यमिक शाला से कक्षा के कमरों में बैठे बच्चों के छाता तानकर पढ़ाई करने की तस्वीरें सामने आई थी।

फरसाबहार क्षेत्र में सबसे अधिक 151 स्कूल भवन खराब स्थिति में है। खराबी स्कूल भवनों में बच्चों की ना सिर्फ पढ़ाई प्रभावित हो रही है बल्कि बच्चों की जान को भी खतरा बना हुआ है। कुनकुरी ब्लॉक के प्राथमिक शाला घटमुड़ा में 56 बच्चे इस वर्ष पढ़ाई कर रहे हैं।

जिले में कुल 525 बदहाल स्कूल भवन है। इनमें जशपुर में 55, मनोरा में 30, बगीचा में 35, दुलदुला में 68, कुनकुरी में 55, कांसाबेल में 71, फरसाबहार में 151 और पत्थलगांव में 60 भवन शामिल है। स्कूल मरम्मत की निविदा के लिए आरईएस विभाग ने नए प्रत्येक आवेदन का शुल्क 750 रुपए निर्धारित है। जिसमें लगभग 1400 फार्म जमा हुए हैं। इससे विभाग को लगभग 10 लाख का राजस्व मिला है।

सरपंच संघ स्कूल मरम्मत के कार्य को पंचायत से कराने की मांग कर रहा है। विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों को कार्य एजेंसी नहीं बनाए जाने का निर्देश जारी हुआ है, जो कि नियम के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा पंचायतों को सशक्त बनाए जाने के लिए 20 लाख की अधिकार को बढ़ाकर 50 लाख किया गया है।

एक लाख से लेकर 10 लाख तक का शुभम सड़क तथा अन्य निर्माण कार्य ठेकेदारों को टेंडर प्रदाय किए 1 वर्ष से अधिक हो गए। किंतु आज पर्यंत निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं किया गया। साथ ही जल जीवन मिशन अंतर्गत पानी टंकी और सड़क मरम्मत कार्य तक ठेकेदारों के भरोसे अटका हुआ है।