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महंगाई भत्ता की घोषणा, नैतिकता का तकाजा – शेख कलीमुल्लाह

आशीष यादव की रिपोर्ट

रायगढ़, महंगाई का रोजमर्रा की जिंदगी में व्यापक असर देखने को मिलता है, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले से लेकर महलों में निवासरत व्यक्ति महंगाई से प्रभावित होता है। बाजार के अनुरूप क्रय शक्ति बनी रहे इसलिए शासकीय कर्मचारियों को मूल्य सूचकांक के आधार पर महंगाई भत्ता दिया जाता है। प्रतिवर्ष जनवरी एवं जुलाई मे महंगाई भत्ता संशोधित किया जाता है। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता समय सीमा में बढ़ाता रहा है लेकिन विगत कुछ वर्षों से राज्य सरकार महंगाई भत्ता देने में हीला हवाला करती रही है ।यही वजह है कि महंगाई भत्ता जैसे जायज मांग के लिए भी कर्मचारी अधिकारियों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ा है। प्रदेश के कर्मचारी अधिकारी महंगाई भत्ता की मांग को लेकर एक दिवसीय, पांच दिवसीय और ऐतिहासिक अनिश्चितकालीन हड़ताल किया गया है। ऐतिहासिक इस संदर्भ में की अनिश्चितकालीन हड़ताल मे पहली बार न्यायालय कर्मचारी एवं स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारी भी शामिल रहे। न्याय योजनाओं के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ सरकार अपने कर्मचारियों के साथ महंगाई भत्ते के मामले में न्याय नहीं कर पा रही है। प्रदेश मे कार्यरत कर्मचारियों को अलग अलग महंगाई भत्ता प्राप्त हो रहा है वर्तमान में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को 38 प्रतिशत महंगाई भत्ता, विद्युत विभाग मैं कार्यरत कर्मचारियों को भी 38 प्रतिशत महंगाई भत्ता तथा राज्य शासन के कर्मचारियों को 33% महंगाई भत्ता प्राप्त हो रहा है। वर्तमान में केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने की घोषणा की है, यही नहीं कांग्रेस शासित राजस्थान बीजेपी शासित असम जैसे राज्य भी 42% महंगाई भत्ता अपने कर्मचारियों को दे रहे हैं। केंद्र के समान महंगाई भत्ता नहीं मिलने से कर्मचारियों की क्रय शक्ति प्रभावित हो रही है और प्रदेश के कर्मचारी अधिकारी आक्रोशित हैं। केंद्र के समान महंगाई भत्ता सहित 4 सूत्री मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर 3 मार्च को प्रदेश के विकासखंड तहसील जिला मुख्यालय ने प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। विगत 18 मार्च को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के नेतृत्व में प्रदेश के कोने-कोने से आए हुए कर्मचारियों अधिकारियों ने महंगाई भत्ता सहित 4 सूत्रीय मांगों के लिए बूढ़ा तालाब रायपुर मे प्रदर्शन कर आवाज बुलंद किया है। लेकिन भूपेश सरकार कर्मचारियों अधिकारियों के महंगाई भत्ते , गृह भाड़ा भत्ता के मांग को लेकर उदासीन है। भूपेश सरकार भी मानती है कि महंगाई बढ़ रही है इसलिए उसने छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन भत्ते एवं पेंशन संशोधन विधेयक 2023 पारित कर विधायकों पूर्व विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी किया हैं। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन जिला शाखा रायगढ़ के संयोजक शेख कलीमुल्लाह ने कहा कि महंगाई के कारण विधानसभा सदस्यों के वेतन भत्ते में बढ़ोतरी की जा रही है तो नैतिकता का तकाजा है कि भूपेश सरकार प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के महंगाई भत्ता गृह भाड़ा भत्ता में बढ़ोतरी कर कर्मचारी अधिकारियों को जायज मांगों पर समुचित आदेश प्रसारित करें।