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Jashpur News : मिर्ची के फसल को कौड़ियों के भाव बेचने के लिए मजबूर…दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं जशपुर के किसान…मिर्ची के बाजार भाव में अनिश्चितता…पढ़ें पूरी खबर


जशपुरनगर :-छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में मिर्च उत्पादन साल दर साल बढ़ रहा है। लेकिन,इसकी बाजार को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। स्थानीय छोटो किसानों को मंडी की जानकारी ना होने पर,वे दलालो के चुंगल में फंस कर,फसल को कौड़ियों के भाव में बेचने के लिए मजबूर है।

इन दिनों जिले के जशपुर,बगीचा,मनोरा ब्लाक में मिर्ची की शुरूआती फसल बाजार में उतर आई है।

फिलहाल, किसानों को आशा के अनुरूप भाव नहीं मिल पा रहा है। सन्ना तहसील के भादू पटकोना में मिर्ची उत्पादक किसान अभय भगत ने बताया कि इस समय 40 रूपये प्रति किलो की दर से वे मिर्ची के फसल,स्थानीय व्यापारियों को बेच रहें हैं। जबकि बीते सीजन में मिर्ची की सौ रूपये प्रति किलो का अच्छा भाव मिला था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सन्ना समेत आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों मिर्ची की खेती लहलहा रही है. इस क्षेत्र में किसानों ने 2 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र फल में मिर्ची की फसल लगा रखी है.सन्ना क्षेत्र में मिर्ची के खेती तकरीबन 5 साल पहले शुरू हुई थी। ग्रााम भादू के निवासी हबीब अंसारी ने सबसे पहले 12 एकड़ में मिर्च की फसल लगाई. मौसम की मेहरबानी से हबीब को पहले ही साल बम्फर पैदावर की प्राप्त हुई. हबीब को मिर्ची के उत्पादन में मिली सफलता को देख कर भादू समेत अन्य किसानों ने भी मिर्ची की फसल लेना शुरू कर दिया है.

वहीं, मिर्ची के उत्पादन में साल दर साल नए रिकॉर्ड बना कर जिले की नई पहचान गढ़ रहे किसानों के लिए मौसम की अनश्चितता एक बड़ी चुनौती है. 20 एकड़ में मिर्ची की फसल लगाने वाले कवई निवासी मिर्ची उत्पादक किसान शौकत अली बताते है कि मिर्ची के लिए तापमान और बारिश का सही संतुलन बेहद आवश्यक होता है. पानी के ज्यादा गिरने से जहां पौधे के गलने का खतरा होता है,वहीं कम बारिश से पौधों के सुखने के साथ ही कई बीमारियों की चपेट में भी आ जाती है।

ज्ञात हो कि, जिले में मौसम की अनिश्चितता साल भर बनी रहती है. कभी गर्मी के सीजन में मूसलाधार बारिश होती है तो कभी बरसात के सीजन में तेज धूप खिली रहती है. समय-समय पर आने वाले चक्रवातीय तूफान और तेज बारिश के दौरान पहाड़ों से उतरने वाली पानी के तेज धार भी फसल को नुकसान पहुंचाती है. किसानों की शिकायत है कि मौसम के खतरे से निबटने के लिए शासन की ओर से उन्हें सहायता तो दूर उचित मार्ग दर्शन भी नहीं मिल रहा है। डुमरकोना के किसान बलवंत गुप्ता ने बताया कि मिर्ची की फसल को लेकर प्रशासन अब तक एक भी कार्यशाला का आयोजन नहीं कर पाई है.



पड़ोसी राज्यों में बढ़ रही है मांग

बता दें कि, जशपुर जिले में साल दर साल बढ़ रहे मिर्ची उत्पादन से अब पड़ोसी राज्य झारखण्ड और उड़ीसा के बड़े व्यवसायी सन्ना की ओर रूख करने लगे हैं. थोक व्यापारियों के आने से कुछ किसानों के चेहरे खिले हुए हैं, वहीं किसान मायूस नजर आ रहे हैं. जिले में आलू,टमाटर,टाऊ जैसे कैश क्रॉप के उत्पादक किसानों की तरह ही मिर्ची उत्पादक किसान भी फसल की सही कीमत ना मिलने से खासे परेशान है।

दरअसल, पंड्रापाठ के किसान विजय राम ने बताया कि मिर्ची की फसल लगाने में लगभग 5 से 6 हजार प्रति एकड़ की लागत आती है। खाद और बीज के दम बढ़ने पर लागत भी बढ़ जाती है। मिर्ची की फसल तैयार होने पर इससे अधिकतम 3 बार मिर्ची की तुड़ाई की जाती है। तीसरी बार की तुड़ाई में उत्पादन की मात्रा कम हो जाती है। मौसम का मिजाज बिगड़ने खास कर कम बारिश होने की स्थिती में फसल की लागत कई गुना बढ़ जाता है। इसमें सिंचाई और कीटनाशक दवा के खर्च की पूर्ति करने में किसानों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन फसल की कीमत मंडी से आए व्यापारियों की मर्जी पर निर्भर रहती है।

विकसीत प्रजाति को हो रहा है उत्पादन

फिलहाल, पाट क्षेत्र के किसान अधिकांशतः जेके और टोपिटा,वी अनार प्रजाति की मिर्ची का उत्पादन करते हैं. किसानों के मुताबिक इन प्रजातियों के मिर्ची में दाना की मात्रा अधिक होती है. इससे फलों का वजन बढ़ जाता है. इससे किसानों को अतिरिक्त लाभ होता है.