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Breaking News : राज्य शासन ने दी स्वीकृति .! अब बलरामपुर-सूरजपुर में भी डीएड की पढ़ाई कर सकेंगे युवा…पढ़ें पूरी खबर



अंबिकापुर :- छत्तीसगढ़ के बलरामपुर व सूरजपुर जिले में जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (बीटीआइ) की स्थापना की जाएगी। राज्य शासन ने दोनों जिले में इसकी स्वीकृति दे दी है।आदिवासी बहुल इन जिलों के युवाओं को शासकीय संस्थान में डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) की पढ़ाई का अवसर नहीं मिल रहा था।

ज्ञात हो कि, निजी क्षेत्र के संस्थान भी नहीं थे। आर्थिक रूप से कमजोर युवा लंबे समय से जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान आरंभ करने की मांग कर रहे थे। संस्थान आरंभ हो जाने से डीएड की पढ़ाई करने वाले युवा भी सहायक शिक्षक की नौकरी के लिए पात्र रहेंगे। कम खर्चे में यह प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को अशासकीय संस्थाओं में भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। बलरामपुर और सूरजपुर जिले में निजी क्षेत्र के भी शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं।प्रतिवर्ष शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में खुल रहे नए शिक्षण संस्थानों में भी प्रशिक्षित शिक्षकों की मांग की जा रही है। ऐसे में स्थानीय युवाओं को अशासकीय शिक्षण संस्थानों में भी सेवा का अवसर नहीं मिल पा रहा था।आर्थिक रूप से कमजोर युवा परेशान हो रहे थे। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले युवाओं का कहना था कि दूसरे शहरों में इस प्रशिक्षण के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है।

बता दें कि, इस राशि का प्रबंध कर पाना हर युवा के लिए संभव नहीं था। इसलिए कई युवाओं ने आगे की पढ़ाई भी छोड़ दी थी। कई युवा ऐसे हैं जिनकी नौकरी की निर्धारित सीमा भी गुजर गई है ।इन तमाम परिस्थितियों को देखते हुए स्पष्ट है कि बलरामपुर और सूरजपुर जिले में शासकीय जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान न सिर्फ रोजगार के अवसर सृजित करेगा बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था में भी मददगार साबित होगा। राज्य सरकार ने युवाओं की भावनाओं और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए दोनों जिलों में इसकी स्वीकृति दे दी है। बजट में इसका प्रविधान भी कर दिया गया है।

निजी व दूरवर्ती संस्थानों का शुल्क अधिक

शासकीय शिक्षण संस्थानों में शिक्षक की नौकरी बीएड और बीएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को ही प्रदान की जाती है।बड़े अशासकीय शिक्षण संस्थानों में भी यह नियम कड़ाई से लागू किया जाता है। सरगुजा क्षेत्र में शासकीय बीएड,डीएड शिक्षण संस्थाओं का अभाव बना हुआ है।कुछ निजी और दूरवर्ती पाठ्यक्रम के शासकीय शिक्षण संस्थानों के माध्यम से इस पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने की सुविधा है लेकिन उसमें शुल्क अधिक लगता है इसलिए भी आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम से पढ़ाई कर पाने में खुद को कमजोर महसूस करते थे।

कांग्रेस शासन से उठ रही थी मांग

पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में इन जिलों में शासकीय बीएड कालेज आरंभ करने की भी मांग की जा रही थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के युवाओं से भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान भी बलरामपुर और सूरजपुर जिले के युवाओं ने यह मांग प्रमुखता से रखी थी। अंबिकापुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर क्षेत्र की छात्रा ने सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि वह शिक्षिका बनना चाहती है लेकिन उनके जिले में एक भी बीएड कॉलेज नहीं है इसलिए वह इसकी पढ़ाई नहीं कर पा रही है।तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया था कि नए शिक्षा सत्र से बलरामपुर जिले में बीएड कालेज आरंभ होगा। यह मांग तो अधूरी रह गई है लेकिन डीएड की पढ़ाई का मौका विद्यार्थियों को अब भाजपा सरकार में मिल जाएगा।

संभाग में शासकीय बीएड कालेज जरूरी

सरगुजा संभाग में शासकीय बीएड कालेज की आवश्यकता महसूस की जा रही है। वर्तमान समय में बैचलर आफ एजुकेशन की पढ़ाई के लिए सरगुजा संभाग में एक भी शसकीय संस्थान नहीं है। निजी क्षेत्र के दर्जनों कालेज सिर्फ बैचलर आफ एजुकेशन की पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराकर मनमाना शुल्क वसूल कर रहे हैं

दरअसल, इन संस्थाओं में तय मानकों के अनुरूप सुविधाओं की कमी है। इस पाठ्यक्रम में युवाओं के रुझान को देखते हुए इन संस्थाओं द्वारा नियम प्रक्रियाओं को ताक पर रख भारी भरकम शुल्क वसूल किए जाने की भी शिकायतें हैं।

फिलहाल, गिनती के दो -तीन संस्थाओं को छोड़ दे तो सभी निजी संस्थानों में तय मानकों के अनुरूप सुविधा उपलब्ध न कराकर खानापूर्ति किए जाने का भी आरोप लगता रहा है। यदि शासकीय संस्थान से बैचलर आफ एजुकेशन की पढ़ाई का अवसर मिले तो संभाग के विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिलेगी।