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भाई दूज के दिन बहनें रखती हैं भाइयों के लिए कठोर व्रत………

वर्तमान भारत

इरफान सिद्धिकी उपसंपादक

कार्तिक मार्स के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार 6 नवंबर को भाई दूज है। इस दिन बहनें पहले भाइयों को श्राप देती हैं फिर अपनी जीभ में कांटा गड़ाकर क्षमा मांगते हुए भाइयों की लंबी उम्र के लिए मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करती हैं।भाई दूज के दिन गोबर से जमीन पर यमलोक का प्रतीकात्मक चित्र बनाकर लाठियों का यम का द्वार कूटती हैं। यह परंपरा यूपी और बिहार में अब भी प्रचलन में है। भाई दूज के दिन भाइयों का तिलक लगाने की विशेष परंंपरा होती है।
भाई देते हैं बहन की रक्षा का वचन
भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन की प्रेम का पर्व है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाए जाने वाले इस त्योहार पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र व स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं और उनकी आरती उतारती है।भाई सदैव बहन की रक्षा करने का वचन देता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार भाई दूज के दिन बहन के तिलक का विशेष महत्व होता है।
तिलक करने का है विशेष महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज का त्योहार इस साल 6 नवंबर शनिवार को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन बहनों द्वारा भाई की लंबी उम्र के लिए यमराज की पूजा-अर्चना का भी विशेष महत्व है।
इस दिन बहनों द्वारा भाइयों का तिलक करने का भी विशेष महत्व होता है। तिलक व पूजन करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.10 से 3.21 बजे तक है। द्वितीया तिथि 5 नवंबर की रात 11.14 बजे से प्रारंभ होकर 6 नवंबर की शाम 7.44 बजे तक रहेगी।

ये है पूजा विधि
बहनें पहले भाई की पूजा की थाली सजाएं और इसमें फल, फूल, दीपक, अक्षत, मिठाई और सुपारी रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करें और तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई को पान, मिठाई खिलाएं।पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के अवसर पर जब बहनें भाई को तिलक लगाती हैं तो भाई के जीवन पर आने वाले हर प्रकार के संकट का नाश हो जाता है और उसके जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।