गज आतंक के साये में धान खरीदी …….. जान जोखिम में डालकर समिति प्रबंधक अपने स्टॉफ और हमालों के साथ देर रात्रि तक करते हैं काम
बगीचा ( जशपुर) । वर्तमान भारत ।
01दिसंबर से पूरे छत्तीसगढ़ में सरकार आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से धान की खरीदी कर रही है। इसके लिए शहरी क्षेत्र के साथ – साथ दूरस्थ इलाकों में भी धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं ।छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला घने जंगलों और पर्वत श्रृंखलाओं के लिए जाना जाता है।जिले में ऐसे कई केंद्र हैं जहां तक पहुंचने के लिए किसानों को घने जंगलों और पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है ,वहीं कुछ ऐसे भी केंद्र हैं जो जंगलों और पहाड़ों के बिलकुल करीब हैं और वहां हमेशा जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। जिले के बगीचा ब्लॉक में एक ऐसा ही केंद्र है – शाहीडांड ! यह केंद्र पहाड़ की तराई में बना हुआ और वहां के लोगो को हमेशा हाथियों का भी सताता रहता ।यहां हाथियों का आमद – रफ्त लगा रहता है। धान खरीदी केंद्र जहां स्थित है उससे लगे हुए पहाड़ के ठीक पीछे अक्सर हाथी आते हैं और अपने एक निश्चित मार्ग से चले जाते हैं ।हाथी अक्सर 10-12 की झुंड में आते हैं जिन्हें गांव वालों द्वारा भगाया जाता है। केंद्र प्रभारी श्री जगदीश राम यादव ने ” वर्तमान भारत ” टीम से चर्चा करते हुए बताया – “अभी कल ही (16दिसंबर को) एक हाथी झुंड से बिछड़कर गांव में घुस आया था जिसे बड़ी मुश्किलों से ग्रामीणों ने भगाया था। दल से बिछड़ा हाथी बहुत ज्यादा आक्रामक होता है। ऐसी घटनाएं यहां होती रहती हैं। सबसे खतरा हम लोगों को है। हमे हमेशा यह भय यदि हाथी कभी केंद्र में घुस आए तो हमारी जान जा सकती है, फिर भी हम लोग अपनी जान जोखिम में डालकर देर रात्रि तक अपना काम करते रहते हैं।
मिलरों से प्राप्त बारदाने बेकार
केंद्र प्रभारी श्री यादव ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल बारदना उपलब्धतता की स्तिथि बेहतर है लेकिन मिलरों से प्राप्त बरदानों में से लगभग 50%बारदाने बेकार और अनुपयोगी हैं। बारदाने इस कदर फटे हुए हैं कि यदि इनकी सिलाई करके मरम्मत की जाय तो ये इतने छोटे हो जाते हैं कि उनमें निर्धारित मात्रा में धान नही आ सकता।
गोदाम की आवश्यकता
सुरक्षा की दृष्टिकोण से आदिम जाति सेवा सहकारी समिति शाहीडांड में धान ,बीज ,खाद या अन्य चीजों के रख – रखाव की की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां सब कुछ खुले में पड़ा रहता है जिसे आंधी – तूफान या बरसात से क्षतिग्रस्त होने का भय हमेशा बना रहता है।सीजन में किसानों के लिए आया बीज और खाद भी यूं ही खुला पड़ा रहता है और बरसात के दिनों में पानी से भीग जाने से नुकसान उठाना पड़ता है।केंद्र प्रभारी के अनुसार यहां 100-200मिट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम की सख्त आवश्यकता है।