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भव्य सरहुल-प्रकृति पर्व मनाने के लिए सर्व आदिवासी समाज ने आगामी तैयारी हेतु किया बैठक का आयोजन

कुसमी से अमित सिंह की रिपोर्ट

प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी सर्व आदिवासी समाज कुसमी के द्वारा सरहुल पर्व व्यापक रूप से मनाने का निर्णय लिया गया है, प्रकृति पर्व सरहुल बसंत ऋतु में मनाए जाने वाला आदिवासियों का प्रमुख त्योहार है, जो इस वर्ष अप्रैल के 16 तारीख को मनाया जाएगा, बसंत ऋतु में जब पेड़ पतझड़ में अपनी पुरानी पत्तियों को गिरा कर टहनियों पर नई -नई पत्तियां लाने लगती है ,आम मंजर ने लगता है सरई और महुआ के फूलों से वातावरण सुगंधित हो जाता है ,तब सरहुल का पर्व मनाया जाता है , सरहुल के साथ ही आदिवासियों का नववर्ष का आरंभ होता है ,इस पर्व के बाद ही नई फसल विशेषकर गेहूं की कटाई होती है। सरहुल एक प्रकृति पर्व है यह पर्व मुख्यता चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के तृतीय से शुरू होता है और चैत्र पूर्णिमा को समाप्त हो जाता है।
सर्व आदिवासी समाज के द्वारा आज अजाक्स भवन में बैठक की अध्यक्षता सिविल दाग सरपंच बसंती भगत की उपस्थिति में की गई, जहां आम जनता से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी से सहयोग की अपेक्षा की गई है ।बैठक में मुख्य रूप से ग्राम पंचायत घुटराडीह, चांदो,जिगनिया, श्रीकोट, कोरन्धा, त्रिपुरी इत्यादि ग्राम पंचायत के सरपंच के साथ साथ
बैठक में मुख्य रूप से समाज के दीवान रामचंद्र निकुंज , गोवर्धन राम ,राजेंद्र भगत ,लक्ष्मी प्रसाद, अनिल भगत, उत्पल कुमार ,सौरभ कुमार ,नानक चंद एवं यशोदा देवी उपस्थित रही।