लखनपुर जिला सरगुजा छग –मप्र में बच्चों से जुड़ी 55 योजनाएं है, सिविल सोसायटी सेतु बनकर काम करें:रतन कुमार …. सीसीएफ की 106 वी संगोष्ठी का आयोजन
अंबिकापुर । वर्तमान भारत ।
मध्यप्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से 55 योजनाएं बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए संचालित हैं ,लेकिन इनमें आपसी समन्वय का अभाव स्पष्ट नजर आता है। पोक्सो, बाल विवाह, बाल श्रम, स्कूली शिक्षा,स्वास्थ्य जैसे मामलों में अलग-अलग एजेंसियां काम करती हैं बेहतर होगा एक नोडल एजेंसी बच्चों के समग्र कल्याण एवं पुनर्वास के लिए मैदानी स्तर पर स्थापित की जाए। यह बात आज चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 106 वी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश नीति आयोग के सलाहकार कुमार रतन ने कही। उन्होंने कहा कि समाज में सरकार द्वारा संचालित संरक्षण और पुनर्वास से जुड़ी मौजूदा योजनाओं के समावेशी क्रियान्वयन हेतु सिविल सोसाइटी को अपनी भूमिका व्यापक फलक पर सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। क्योंकि सरकार समाज के कल्याण की योजनाओं को परिणाममुखी तभी बना सकती है जब समाज की व्यापक भागीदारी नीति निर्माण, मूल्यांकन ,अनुश्रवण एवं निगरानी के स्तर पर सहजता के साथ स्थापित हो। श्री कुमार के अनुसार समाज में प्रोटेक्शन के स्थान पर सेफगार्ड की अवधारणा पर काम करने की आवश्यकता है ,क्योंकि संरक्षण घटनाक्रम के बाद की परिस्थितियों मैं पुनर्वास सुनिश्चित करता है जबकि सुरक्षात्मक उपाय समाज में बच्चों के प्रति होने वाली प्रताड़ना और अन्य दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करने में सक्षम हैं ।उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में कुल आबादी का 40% हिस्सा 18 साल से कम आयु के बच्चों का है इसलिए सिविल सोसाइटी और सरकार को सम्मिलित रूप से प्रदेश के 3 करोड़ 20 लाख बच्चों के बेहतर भविष्य हेतु समन्वित रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है
संगोष्ठी को मध्य प्रदेश सुशासन एवं नीति संस्थान के एडिशनल सीईओ श्री लोकेश शर्मा ने भी संबोधित किया ।उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सामाजिक भागीदारी से ही कानूनों का उचित क्रियान्वयन संभव है श्री शर्मा ने कहा कि साक्ष्य केंद्रित नीति ही किसी समाज में वांछित परिणाम ला सकती है।और यह तभी संभव है जब नीतियों से जुड़े हुए सभी विधायक अपनी अपनी भूमिकाओं का निर्वहन ईमानदारी के साथ करें।
चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश में पृथक बाल बजट की अवधारणा पर काम शुरू हुआ है, जो एक अच्छे नवाचार की श्रेणी में आता है। समाज में बच्चों के लिए काम करने वाले संगठनों को अपने स्तर पर पहल करते हुए इस चाइल्ड बजट के युक्ति युक्त उपयोग पर निगरानी रखने की आवश्यकता है।
फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए मध्यप्रदेश में बच्चों के लिए मौजूदा विभिन्न नीतियों की खामियों को एक अध्ययन के रूप में संकलित कर सरकार के समक्ष एक कार्ययोजना के साथ प्रस्तुत किए जाने की बात कही।
फाउंडेशन के इस साप्ताहिक कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले से बच्चों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बाल अधिकार कार्यकर्ता नम्रता पटेल के नेतृत्व में जांजगीर जिले के बच्चों ने विषय विशेषज्ञों के साथ संवाद किया और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। इस बेबीनार में छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान के प्रदेश सचिव सुरेन्द्र साहू ने भाग लेते हुए पुरे भारत वर्ष के बाल कल्याण समिति और किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों का टेलिफोन डायरेक्टरी बनाने का सुझाव दिया जिसपर जल्दी ही टेलिफोन डायरेक्टरी बनाने का आश्वासन दिया। सुरेन्द्र साहू ने बताया कि टेलिफोन डायरेक्टरी बनने से बाल अधिकार में कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को बहुत सहायता मिलेगी।