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जालौर की घटना के ख़िलाफ़ रायगढ़ में विरोध… निकाली गई जनाक्रोश रैली…राजस्थान सरकार के ख़िलाफ़ की जमकर नारेबाजी

रायगढ़ । वर्तमान भारत ।

रितेश सिदार की रिपोर्ट

भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे कर चुका है, लेकिन समाज को अभी भी छुआछूत से आजादी नहीं मिली है। राजस्थान के जालोर में जातिगत भेदभाव और छुआछूत की इसी बुराई ने 9 साल के एक मासूम दलित बच्चे की जान ले ली है दलित बच्चे का गुनाह केवल इतना था कि उसने स्कूल संचालक के मटके से पानी पिया था जिस पर स्कूल संचालक ने उसकी जमकर पिटाई कर दी इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना पर देश भर आक्रोश व्याप्त है।इसी कड़ी में रायगढ़ से आदिवासी समाज व सतनामी समाज द्वारा शहर में आक्रोश रैली निकाली गई। सर पर मटका रख छुआछूत के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करते हुए यह रैली रामलीला मैदान से निकल कर शहर भ्रमणकरते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ चौक पर खत्म की। इस दौरान रैली में शामिल लोगों ने राजस्थान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और दोषी शिक्षक की फांसी देने की मांग भी की।

उस मटकी से सिर्फ टीचर पानी पीते थे


स्कूल में जातिवाद के नाम पर मेरे बेटे की पिटाई की गई। सामान्य दिनों की तरह 20 जुलाई को भी इंद्र स्कूल गया था। सुबह करीब साढ़े दस बजे उसे प्यास लगी। उसने स्कूल में रखी मटकी से पानी पी लिया। उसे नहीं पता था कि यह मटकी स्कूल के टीचर छैल सिंह के लिए रखी गई है। इससे सिर्फ छैल सिंह ही पानी पीते हैं।छैल सिंह ने इंद्र को बुलाया और जमकर पीटा। इतना पीटा की उसकी दाहिनी आंख और कान पर अंदरुनी चोटें आईं। छैल सिंह ने जातिसूचक शब्दों का भी प्रयोग किया। पहले तो लगा कि हल्की चोट आई है, लेकिन ऐसा नहीं था। पिटाई के बाद इंद्र की तबीयत खराब होने लगी तो उसे जालोर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ले गए।