Latest:
Trending News

अजब – गजब के अंतिम संस्कार : कहीं लाश को भूनकर खाया जाता है तो कहीं निकाल लिया जाता है मस्तिष्क और आंखें और यदि लाश दुश्मन की हो तो …

वर्तमान भारत । जानकारी

कहने को तो दुनिया आज चांद पर पहुंच गई है।आधुनिकीकरण का बहुत ही तेज़ दौर चल रहा है और विकास के रोज नए मानक स्थापित किए जा रहे हैं जिसके पीछे पूरी दुनिया दीवानों की तरह दौड़ पड़ती है। किन्तु , इस दुनिया मे अब भी कई ऐसे समुदाय हैं जिनका आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण से कोई लेना – देना नहीं है। उन्हे अपनी परंपरा , रहन – सहन और खान – पान के लिए जाना जाता है। आइए आज जानते हैं ऐसे कुछ जनजातियों के बारे में ।

यानोमामी जनजाति ( Yanomami)

यह जनजाति अमेरिका के ब्राज़ील और वेनेजुएला मे पाई जाती है। इन्हे यनम या सीनेमा भी कहा जाता है ।इस जनजाति के किसी व्यक्ति की मौत पर उसके अंतिम संस्कार की जो परंपरा है उसे एंडो – केनिबलवाद ( Endocannibsalism ) कहा जाता है । इसमें अपनी ही जनजाति के मृतकों के शव को भूनकर खाने की परंपरा है ।

इस जनजाति मे किसी की मौत हो जाने पर उसके शरीर को दफन करने के बजाय जलाने और उसके मांस को खाने की परंपरा है। उनकी यह मान्यता है कि मौत के बाद शरीर के अंदर जो आत्मा होती है उसे तभी शांति मिलती है जब मृतक का शरीर पूरी तरह से जल जाए और उसकी लाश को उसके जीवित रिश्तेदारों द्वारा खाया जाए। इस समुदाय के लोग मृतक के शरीर को जलाते हैं , जले हुए शरीर पर मुस्कान के साथ उसके चेहरे को पैंट कर देते हैं, गाना गाते हैं , रोकर दुख प्रकट करते हैं और फिर जली हुई लाश को बड़े प्रेम से खाते हैं।

अस्मत जनजाति

यह जनजाति ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के न्यू गिनी मे पाई जाती है। इस जनजाति के लोग बहुत ही खतरनाक होते हैं। ये लोग अपने दुश्मन को मारकर उसके मांस को पकाकर खा जाते हैं। मांस को खाने के अलावा ये लोग लाश की हड्डियों को गहनों की तरह उपयोग करते हैं और उसके सिर को तकिए की जगह लगाते हैं। कभी – कभी ये लोग खोपड़ी को तोड़कर उसका बर्तन बना लेते हैं और उसमे खाना खाते हैं। ऐसा करना वे वीरता और आदिवासियों के प्रति वफादारी प्रदर्शन करना मानते हैं। इस जनजाति के लोग दुश्मन के सिर को तंदूर भूनकर खाते भी हैं। दुश्मन की हड्डियों को भविष्य के अनुष्ठानों में उपयोग करते है तथा किसी उत्सव के समय दुश्मन के सिर को बच्चों के पैरों के बीच में रख देते हैं। ऐसा करने के पीछे उनकी यह मान्यता है कि ऐसा करने से दुश्मन की शक्ति बच्चे मे आ जाती है।ये लोग दुश्मन के निचले जबड़े को घर को घर में रखना शौर्य की निशानी मानते हैं। ये लोग दुश्मन की रीढ़ को हड्डी और निचले भाग को अपने साथ किसी ट्रॉफी की तरह रखते हैं।