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आजादी के 75 साल बाद भी विकास के लिए तरस रहे बोईरडिहा पारा के ग्रामीण,अभी तक नहीं बना सड़क

सारंगढ़ । वर्तमान भारत

आशीष यादव की रिपोर्ट

सारंगढ़-बिलाइगढ़/सुधीर चौहान:- नवीन जिला के बरमकेला ब्लॉक का एक ऐसा गाँव जहाँ विकास कि किरण अभी तक नहीं पहुँच पाई है, राजनितिक, आर्थिक व सांस्कृतिक दृष्टि से भले ही बरमकेला तहसील का प्रदेश मे नाम हो, लेकिन मुलभुत सुविधाओं के मामले मे आज भी क्षेत्र के कई गाँव विकास कि मुलधारा से नहीं जुड़ सके हैं, ऐसा ही एक गाँव ग्राम पंचायत खम्हरिया के आश्रित ग्राम बोइरडीहा पारा है, जहाँ पर तक़रीबन 60 सदस्य निवासरत हैं, जिससे 2 किलोमीटर कि सड़क आजादी के 75 साल बाद भी अभी तक नहीं बन पा रही है।

खुद के मेहनत से लकड़ी का बनाया पुल,खेत की मेड पर जाते हैं बच्चे स्कूल..

विदित हो कि बोइरडीहा पारा जाना चाहते हैं तो कमलापानी से खेत कि पतली मेड से होकर गुजरना पड़ेगा तो वहीं दूसरी रास्ता,केरमेली गाँव से भी पठार कि पतली रास्ता से होकर जाना पड़ेगा जिससे एक खाई नुमा नाला पार करना पड़ेगा, जिससे ग्रामीणों ने खुद से नाले के ऊपर लकड़ी कि पुल बनाई है, इस गाँव मे नहाने के लिए तालाब तक नहीं है।

जनप्रतिनिधि व अधिकारियों से बार-बार लगा चुके गुहार..

बहरहाल ग्रामीणों ने सैकड़ों बार पक्की सड़क बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक के हाथ-पैर जोड़े लेकिन कोई असर नहीं हुआ। सभी दिलासा देकर मामले से अपना पल्ला झाड़ते रहे। वहीं शासन-प्रशासन की उपेक्षा के कारण बोइरडीह पारा के वाशिंदे हर मौसम में कच्चे मार्ग से होने वाली समस्या से जूझने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के अनुसार केरमेली गाँव की प्रधानमंत्री सड़क से उनका गांव महज दो किमी दूर है।इस मार्ग पर पक्की सड़क नहीं बनने के कारण बरसात में एक तरह से सभी ग्रामीण घरों में कैद हो जाते हैं। कच्चे मार्ग पर कीचड़, बरसाती पानी के भराव के कारण आवागमन जोखिम भरा हो जाता है।

गांव तक नहीं पहुंच पाती आपातकालीन वाहन

ऐसे में यदि घर में कोई बीमार पड़ जाए या फिर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने की जरूरत हो तो यहां पर एंबुलेंस समेत अन्य आपातकालीन वाहन नहीं पहुंच पाते हैं। खटिया चारपाई में जोखिम उठाकर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाना स्वजनों की मजबूरी होता है।इससे जच्चा-बच्चा दोनों को खतरा बना रहता है।

वादाखिलाफी से ग्रामीणों में भारी रोष

बोइरडीह पारा गांव ग्राम पंचायत खम्हरिया के अंतर्गत आता है। ग्रामीणों के अनुसार पंचायत, जनपद हो या फिर विधानसभा-लोकसभा चुनाव, हर बार वोट मांगने के लिए आने वाले नेता सड़क बनाने का आश्वासन देकर जाते हैं। पिछले चुनावों में भी इसी तरह का दिलासा दिया गया था, लेकिन चुनाव जीतने, खत्म होने के बाद नेता सब कुछ भूल जाते हैं। उन्हें ये तक याद नहीं रहता कि वे बोइरडीह पारा गांव में वोट मांगने भी गए थे। नेताओं की वादाखिलाफी से लोग खासे आक्रोशित हैं।