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छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पर सरकार और राजभवन में टकराव आरंभ…सरकार ने आरक्षण विधेयक बढ़ाने का विधानसभा में पारित कर राजभवन को भेजा…राज्यपाल ने विधेयक को अब तक मंजूरी नहीं दी…पढ़ें पूरी खबर

रायपुर । वर्तमान भारत ।

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

रायपुर। वर्तमान भारत। प्रदेश में आरक्षण पर विवाद रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। पहले सरकार के सामने आदिवासी खड़े हो गए थे। अब सरकार ने आरक्षण बढ़ाने का विधि विधान सभा में पारित कर राज भवन भेजा है। तो राज्यपाल ने विधेयक को अब तक मंजूरी नहीं दी है।

इसी पर अब राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव साफ दिखाई पड़ रहा है। पहले कांग्रेस ने राज भवन पर बीजेपी के दबाव का आरोप लगाया। तो अब राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सरकार से विधेयक के संबंध में 10 प्रश्न पूछ लिए हैं।

दरअसल राजभवन की तरफ से सरकार को 10 प्रश्न भेजे गए हैं। इसमें राजभवन ने यह जानना चाहा है कि किस आधार पर सरकार ने 76% आरक्षण बढ़ाया है। राजभवन ने पूछा है कि एससी, एसटी को सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा मानने का आधार पूछा गया है। राजभवन ने पूछा है कि विधेयक पारित करने से पहले एससी, एसटी का डाटा जोड़ा गया था?

अगर जुटाया गया है तो उसका विवरण 1992 में इंदिरा साहनी और भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षण 50% से अधिक करने की विशेष परिस्थितियों की शर्तें लगाई थी। इसमें विशेष परिस्थितियों के संबंध में विवरण क्या है?

राजभवन ने यह भी जानना चाहा कि सरकार की तरफ से जिन राज्यों में आरक्षण बढ़ाया गया है। उन राज्यों में आरक्षण बढ़ाने से पहले आयोग गठन कर उसका परीक्षण करवाया था क्या? छत्तीसगढ़ में भी ऐसी किसी कमेटी और आयोग का गठन किया हो तो उसकी जानकारी दें? राजभवन ने क्वांटिफिएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा राजभवन ने विधेयक के लिए विधि विभाग का सरकार को मिली सलाह की जानकारी मांगी है।

एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण देने के लिए बने कानून में सामान्य वर्ग की गरीबों के आरक्षण की व्यवस्था पर भी राजभवन ने सवाल उठाया है। इसके पीछे कहा गया है कि सामान्य वर्ग के लिए अलग विधेयक पारित किया जाना चाहिए था। एससी, एसटी के लोगों की सरकारी सेवा में चयन क्यों नहीं हो पा रहा है? राजभवन ने यह भी जानकारी चाहा है कि 76% आरक्षण से प्रशासन की दक्षता पर क्या असर पड़ेगा। इसका कोई सर्वे कराया गया है?

76% आरक्षण बढ़ाने के विधेयक पर सरकार और राजभवन के बीच टकराव गहरा होता चला जा रहा है। राजभवन ने विधेयक पर सरकार से 10 प्रश्न पूछा है। इस पर अब राजनीति महकमे में फिर से खलबली मच गया है।कांग्रेस इस प्रक्रिया पर आपत्ति जता रही है। कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है यह मुद्दा संवैधानिक रूप से विधेयक के साथ सरकार के पास वापस भेजना चाहिए था। जो भी उसमें संशोधन किया जाना था।

उसमें राजभवन एक शब्द जोड़ सकता है ना ही एक शब्द हटा सकता है। राज्य सरकार के पास विधेयक को लाया जाता तो राज भवन का भी सवाल था। उसका समाधान सरकार करती। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस प्रकार से 10 सवाल किए गए हैं। उसमें सीधे-सीधे राजनीति झलक रही है। भाजपा जिस प्रकार के बयान दे रहा है। उसी प्रकार सवाल राज्यपाल सरकार से कर रही है। ये कतई उचित नहीं है।