Latest:
Event More News

आंगनवाड़ी कर्मी आंदोलन: “गांव – गांव में डबरा है ..भूपेश सरकार लबरा है “….. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भूपेश सरकार के खिलाफ भरी हुंकार..अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सूरजपुर । वर्तमान भारत ।

लेख – ओम प्रकाश वैष्णव

छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनवाड़ी कार्यकर्ता / सहायिका संघ ब्लॉक सूरजपुर के बैनर तले आज आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने भूपेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया।दरअसल, आंगनवाड़ी कर्मी लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है मगर सरकार के कानो पर अभी तक जूं तक नहीं रेंगा है।विदित हो कि कांग्रेस ने गत चुनाव में अपने घोषणा पत्र में आंगनवाड़ी कर्मियों के बारे में जो बात कही थी उससे इन कर्मियों को बहुत ज्यादा उम्मीदें बंध गई थीं। मगर अफसोस ! ये कर्मी सिर्फ चिल्लाते रह गए और देखते ही देखते 4 वर्ष गुजर गए । सरकार अब तक गूंगी – बहरी बनी हुई है।

किसी विदेशी शोषक शासक की तरह है सरकार का व्यवहार

आपने इतिहास में कर राजाओं के बारे में पढ़ा होगा जो विभिन्न तरीकों से आम जनता और बुद्धिजीवियों का शोषण करते थे। कुछ ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहे है आंगनवाड़ी कर्मी।जब आप इनके काम और वेतन की तुलना करेंगे तो आपको बेहद आश्चर्य होगा। आपकी लगने लगेगा कि पुराने जमाने के शोषक राजाओं से आज की सरकार भी कहीं पीछे नहीं है।

एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को कुल 6500 रूपये प्रति माह मानदेय मिलता है जिसमें राज्य सरकार का अंशदान 2000रूपये है और केंद्र सरकार का 4500रुपए है। यानि दो सरकारें मिलकर एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को सिर्फ 6500रूपये दे पातीं हैं। इसी प्रकार एक सहायिका को राज्य सरकार द्वारा मात्र 1000/-प्रतिमाह और केंद्र सरकार द्वारा मात्र 2250/- प्रतिमाह दिया जाता। कितनी शर्मनाक स्थिति है! ये वही विधायक और सांसद हैं जो पलक झपकते ही मेज थपथपा कर अपना वेतन बढ़ा लेते हैं। साथ ही इन्हे फ्री में या नामात्र के भुगतान पर अनेकों सुविधाएं प्राप्त हैं और दूसरी ओर ये कर्मी रोज़ – रोज़ मरकर जीने को मजबूर हैं। प्रातः 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक आंगनवाड़ी केंद्र संचालित होता है। इसके बाद भी कई प्रकार के सर्वे में संलग्न रहते हैं। यानि उनका पूरा दिन उसी के पीछे खप जाता है। कोई अन्य रोजगार करके अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का भी उनके पास अवसर नहीं है।

0- 6 वर्ष के बच्चों के पोषण से लेकर बीएलओ, टीकाकरण , गर्भवती महिलाओं का सर्वे और रिकॉर्ड संधारण , किशोरी बालिकाओं का सर्वे और रिकॉर्ड संधारण जैसे अन्य बहुत से कार्य इनके जिम्मे है। स्थानीय चुनाव में भी इनकी ड्यूटी लगती है। ये वो हर काम करती है जो सरकार इन्हे सौंपती है। सरकारी कार्यों में इनकी अहम भूमिका है , फिर भी ये सरकारी कर्मचारी नही हैं।6500/- या 3250 मे कोई अपना परिवार कैसे चला सकता है? फिर जब सरकार इन्हे सरकारी कर्मचारी मानती ही नही है तो किस हक से उन्हे सरकारी कामों का जिम्मा सौंपती है।

असुरक्षित है आंगनवाड़ी कर्मी

आंगनवाड़ी कर्मियों का वर्तमान बहुत ही दुरूह है और उनका भविष्य पूरी तरह असुरक्षित है।सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की शैक्षिक योग्यता हायर सेकेण्डरी ( 12 वीं) और सहायिका का 10 वीं निर्धारित किया गया है। यानि किसी कार्यकर्ता की शैक्षिक योग्यता किसी सहायक शिक्षक या सहायक ग्रेड 3 के समकक्ष है । इसी तरह किसी सहायिका की शैक्षिक योग्यता एक भृत्य की शैक्षिक योग्यता से कहीं ज्यादा है। पर उनका मानदेय ..?

इतना ही नहीं , आए दिन विभागीय अधिकारियों से लेकर लंगोटी छाप जन प्रतिनिधियों की धमकी भी उन्हे सुननी पड़ती है। बात – बात में कोई एरागैरा भी इन्ही धमकी दे डालता है – तुम्हारी नौकरी खा जाऊंगा।

आंगनवाड़ी कर्मियों की प्रमुख मांगे

आंगनवाड़ी कर्मियों की जो मांगे हैं वो आर्थिक , सामाजिक और न्यायिक दृष्टि से पूरी तरह जायज हैं। आइए जरा इनके प्रमुख मांगों पर एक नज़र डालते हैं –

(1) आंगनवाड़ी कर्मियों को शासकीय सेवक घोषित कर सामाजिक सुरक्षा देकर उन्हें उचित श्रेणी में रखा जाय।

(2) आंगनवाड़ी कर्मियों को शासकीय सेवक घोषित होने तक राज्य सरकार की ओर से कलेक्टर दर पर राज्य अंशदान दिया जाय, जैसा कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था।

(3) 62 वर्ष में सेवा में सेवा निवृत्ति के समय कार्यकर्ता को 500000/- और सहायिका को 300000/ रुपए एकमुश्त ग्रेजुएटी के रूप में और सामाजिक सुरक्षा के रूप में कार्यकर्ता को 5000/- और सहायिका को 3000/- मासिक पेंशन भुगतान किया जाय।

(4) सुपरवाइजर के रिक्त शत – प्रतिशत पदों को पदों को बिना उम्र के बंधन और परीक्षा के कार्यकर्ताओं से भरा जाय।

(5)कार्यकर्ताओं के रिक्त शत – प्रतिशत पदों को सहायिकाओं से भरा जाय

(6) स्वीकृत मानदेय को महंगाई से जोड़ा जाए और महंगाई भत्ता दिया जाय ।

( 7) मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के बराबर मानदेय दिया जाय एवम मुख्य आंगनवाड़ी घोषित किया जाय।

( 8) विभागीय कार्य हेतु मोबाइल और नेट खर्च दिया जाय।

सरकार को पहल करनी चाहिए

वर्तमान में आंगनवाड़ी कर्मियों की जो स्थिति है वह अत्यंत दयनीय है। उनकी स्थिति सांप – छुछुंदर की सी है। इस काम को न करने से कोई फायदा है और न ही छोड़ने की स्थिति। मगर आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि शासन की इस अत्यंत महत्वपूर्ण योजना को क्रियान्वित करने वाले इतने उपेक्षित क्यों हैं? क्या असंतुष्ट कर्मियों के यह सहारे यह योजना अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगी या सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ने की कवायत की जा रही है। खैर ! जो भी हो। ये मसला आम लोगों के उपर का है।लेकिन , चलते – चलते राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनो से मेरा यह विनम्र निवेदन है कि आंगनवाड़ी कर्मियों की जायज मांगों को मानते हुए यथार्थ की धरातल पर इस योजना को सफल बनाकर एक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र निर्माण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मिशाल कायम करने का कष्ट करें।

जय हिंद ! जय भारत। जय जनता।