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कागजों में विकास की गंगा बहाने वाले रामाकछार सरपंच- सचिव ने ढोढ़ी निर्माण, कच्चा नाला बंधान व स्टेशनरी के नाम पर पंचायत मद के दबाए साढ़े 6 लाख…! स्नानागार निर्माण, हेंडपम्प मरम्मत व पाइप लाईन के नाम पर कर चुके है सवा 5 लाख गबन , परत दर परत खुल रहे हैं सरपंच के कारनामे


आशीष यादव की रिपोर्ट

कोरबा/पाली:- पंचायतों का सशक्तिकरण 90 के दशक में हुआ था, जहां पंचायती राज व्यवस्था का निर्माण स्थानीय विकास को बल दिलाने के लिए किया गया था। जिसका संचालन होते तो आ रहा है, किंतु विकास के लिए पंचायतों को जारी राशि भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ रही है। जनपद पंचायत पाली अन्तर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रामाकछार में भी भ्रष्ट्राचार को अंजाम देते हुए कागजों में विकास की गंगा बहाई गई, जबकि जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और बयां कर रही है। जहां ग्रामीण जनता को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने व विकास कार्यों के नाम पर सरपंच- सचिव शासकीय राशि का जमकर बंदरबांट करते हुए सरकारी सिस्टम को ठेंगा दिखाने का काम कर रहे है तथा संबंधित अधिकारी सुदूर वनांचल इस ग्राम में नही पहुँच पाने पर अपनी कमी छिपाने में लगे है।

पाली जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत रामाकछार में निर्वाचित सरपंच श्रीमती बुंदकुंवर खुसरो व सचिव राजाराम के मनमाने क्रियाकलाप यहां भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है, जहां काल्पनिक कामों के नाम पर शासकीय राशि का जमकर आहरण कर स्वयं का हित साधा जा रहा है। जिससे एक ओर पंचायत के निवासी ग्रामीणजन मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर शासकीय राशि का दुरूपयोग कर सरपंच- सचिव व्यक्तिगत स्वार्थसिद्धि से सम्पन्न हो रहे है। पंचायतवासी इनके कृत्य पर विरोध के स्वर मुखरित तो करते हैं, पर प्रलोभन अथवा भय दिखाकर सरपंच- सचिव उनकी आवाज दबा देते है। ऐसे में ग्रामीण जनता महत्वहीन होकर मूकदर्शक बन केवल उनके कारनामे को देखते रह जा रहे है। आदिवासी बाहुल्य इस पंचायत में तीन गाँव क्रमशः- तेलसरा, उड़ान व रामाकछार सम्मिलित हैं। इन ग्रामों के ग्रामवासी आज भी पंचायत द्वारा प्रदत्त सुविधाओं को तरस रहे हैं। जबकि सरपंच- सचिव इन ग्रामों में जनकल्याणकारी निर्माण के नाम पर शासकीय राशि का मनमाना दोहन करते आ रहे है, पर वास्तविक में ऐसा कोई भी निर्माण कार्य व बुनियादी सुविधाएं ग्रामीणों को धरातल पर नहीं दिख रहा। यहां न केवल निर्माण कार्यों के नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, बल्कि ग्राम पंचायत के पंचों की कोई सभा न लेकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मनमाने प्रस्ताव पारित कर पंचायत मद की राशि बिना काम के निकाली जा रही है। और तो और कमाई का कोई रास्ता नजर नही आने पर कई अनुपयोगी कार्य भी करा दिए जा रहे है। कागजों में स्नानागार और हेंडपम्प मरम्मत/पाइप लाईन कार्य कराकर मूलभूत, 14वें- 15वें वित्त से सवा 5 लाख पर हाथ साफ करने वाले सरपंच- सचिव ने मिलीभगत कर ढोढ़ी निर्माण, कच्चा नाला बंधान व स्टेशनरी के नाम पर भी 6 लाख 56 हजार 4 सौ 5 रुपए दबा दिए। सरपंच- सचिव के इस बेलगाम राज में इन्हें न तो अधिकारियों का डर है, न ही किसी जांच की चिंता।

जुलाई 2020 से मई 2022 की अवधि में स्टेशनरी पर सवा लाख खर्च


पंचायत संबंधित समस्त कार्यों की फाइलें उतनी नही होगी, जितना खर्च रामाकछार सरपंच- सचिव के अनुसार हुआ है। यहां स्टेशनरी के नाम पर जो राशि खर्च बतायी गई है उसके मुताबित 18 जुलाई 2020 में- 8010, 25 जुलाई- 30.200, 24 जून 2021 में- 20.906, 22 दिसंबर- 9090, 11 मई 2022 में- 20.000, 18 मई- 23.650, 26 मई- 10.000 व 19 सितंबर में 12.010 रुपए स्टेशनरी पर खर्च बताया गया है। ताज्जुब की बात है कि सरपंच- सचिव ने स्टेशनरी पर 1 लाख 12 हजार 7 सौ 60 रुपए 14वें वित्त से खर्च किया जो काल्पनिक है। जब इस संबंध पर ग्रामवासियों से जानकारी ली गई तो ज्ञात हुआ कि ऐसे कोई भी कार्य हुए ही नही है, और न ही उन्हें कोई कार्य दिख पाया है। सरपंच- सचिव ने कथित कार्यो की आड़ में भारी- भरकम राशि का आहरण किया है। यदि संबंधित अधिकारी इस ग्राम पंचायत के कागजों में दर्शित कार्यों की सूक्ष्म जाँच करें तो भ्रष्टाचार व शासकीय राशि दुरूपयोग के कई प्रकरण सामने आयेंगे। किन्तु प्रशासनिक उदासीनता के परिणामस्वरूप सरपंच- सचिव के मनमानी चरम पर है। बहरहाल सरपंच द्वारा अपने 4 साल के कार्यकाल में सचिव के साथ मिलकर किये गए विभिन्न भ्रष्ट्राचार के कारनामों को आगे भी खबर के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा।