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Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के द्वितीय दिन माता ब्रह्मचारिणी की करते हैं पूजा…माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से पूर्ण होगी हर मनोकामना…आइए जानें

लेख : गजाधर पैकरा

जशपुर (छत्तीसगढ़) वर्तमान भारत।माता ब्रह्मचारिणी तपस्वी मानी जाती है। माता ने ब्रह्मचारिणी रूप में शिव को हासिल करने के लिए हजारों सालों तक व्रत और कठिन तपस्या की थी। माता ने जंगल जंगल भटकते हुए वृक्षों के पत्तों का सेवन करके इस उपवास को किया था। इस कठिन तपस्या के फलस्वरूप भगवान शंकर माता से प्रसन्न होकर उन्हें वर के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया था।

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से पूर्ण होगी हर मुरादें

ज्योतिषी शास्त्रियों के अनुसार किसी भी कुंवारी कन्या जिसके विवाह में बाधा उत्पन्न हो रही है। उन्हें इस पूजन को निश्चित तौर पर करना चाहिए। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, साधना और आराधना से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही शिव जैसे वर की प्राप्ति होती है। आज की शुभ दिन निराहार, एकाशना अथवा फलाहार रहते हुए उपवास करना चाहिए।कठिन उपवास से माता प्रसन्न होती है।

माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के उपाय

ज्योतिषी शास्त्रियों का कहना है कि माता को श्वेत फूल, श्वेत मिठाइयां, दूध, दही, पंचामृत आदि का भोग लगाया जाना चाहिए। आज के दिन श्वेत कमल, श्वेत पुष्प, श्वेत पुष्पों की माला माता को अर्पित की जाती है। जिससे माता प्रसन्न होती है। भगवती को श्वेत चमकीली धवल वस्त्र पहनाने की भी परंपरा है।

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता है कि शिव की प्राप्ति के लिए माता पार्वती ब्रह्मचारिणी रूप में अथक तपस्या की। इस तपस्या के माध्यम से हमें यहां प्रेरणा मिलती है कि लक्ष्य के प्रति हमें अथक कोशिश करना चाहिए। लगातार कोशिशों से ही जीवन में कामयाबी मिलती है। समस्त मातृशक्ति को यह कहानी बहुत ही प्रेरित करती आई है। माता पार्वती की इस महान तपस्या से समस्त मानव जगत को दृढ़ संकल्प होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।