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हाईकोर्ट का आदिवासियों की भूमि को लेकर बड़ा अहम फैसला…कलेक्टर के आदेश के बाद भी आदिवासियों की भूमि खरीदी या बेची नहीं जा सकती…पढ़ें पूरी खबर

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)वर्तमान भारत।उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जनजाति की भूमि को लेकर बड़ा आदेश दिया है आदेश में कहा गया है कि कलेक्टर के आदेश के पश्चात भी अब अनुसूचित जनजाति की भूमि खरीदी और बेची नहीं जा सकती। बचेली की जमीन बिक्री को हाईकोर्ट ने सुनने घोषित कर दिया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार शिकायत थी कि आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी व्यक्ति एग्रीमेंट कर रख रहे हैं और सस्ते दामों पर जमीन का सौदा कर रहे हैं।

वहीं रायपुर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आशीष सोनी ने बताया कि हाईकोर्ट ने आदिवासियों की भूमि पर कलेक्टर आदेश के बाद भी खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी है। अब आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी नहीं खरीद पाएंगे।

वही प्राप्त जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट में लंबे समय से एक आदिवासी किसान निशांत गोंड़ का केस चल रहा है। जो कि राजनांदगांव के मूल निवासी हैं। उसने बताया कि उनकी 1 एकड़ भूमि का सौदा एक बिल्डर से किया था। उसने एग्रीमेंट किया था और 1 वर्ष से कलेक्टर से अनुमति नहीं ले पाया।

इस बीच उस बिल्डर ने उसकी जमीन को कब्जा कर लिया और कहा कि परमिशन होते तक आप मेरे पैसे इस्तेमाल करो। मैं आपकी जमीन इस्तेमाल करूंगा। जिस पर निशांत ने उसकी शिकायत थाने में की और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा।

इस मामले के अलावा एक और मामले को लेकर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि छत्तीसगढ़ भू- राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 (6),(1) के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र में कलेक्टर से अनुमति प्राप्त होने के बाद भी अनुसूचित जनजाति की जमीन गैर अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति नहीं खरीद सकता है। कोर्ट ने खरीदी बिक्री के लिए हुए व्यवहार को शून्य घोषित किया है।