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JASHPUR NEWS : जशपुरिया महुआ का बढ़ा महत्व…एनर्जी बार में घुलेगा महुआ और मिलेट का स्वाद…ट्रेनिंग के लिए जाएंगी महिला स्व सहायता समूह सोनीपत…पढ़ें पूरी खबर



जशपुरनगर :- छत्तीसगढ़ के जशपुर में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और हरियाणा के सोनीपत जिले के कुंडली में स्थित प्रबंधन संस्थान ने कृषि विभाग जशपुर को माल्टेड फाक्सटेल मिलेट और मसूर की दाल और प्रोटीनयुक्त ग्रेनोला बार का उपयोग करके एनर्जी बार कुकीज़ निर्माण के लिए दो तकनीक का हस्तांतरण किया है।

बता दें कि, कलेक्टर डा. रवि मित्तल ने इसे जशपुर के लिए बड़ी उपलब्धि बताते हुए समस्त जिलेवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मिलेट और प्रोटीनयुक्त ग्रेनोला बार के उपयोग से एनर्जी बार कुकीज़ निर्माण द्वारा न सिर्फ महिला स्व-सहायता समूहों की आय में वृद्धि होगी बल्कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में यह बहुत महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगा। एनआईएफटीएम कुंडली सोनीपत द्वारा कृषि विभाग जशपुर को यह तकनीक पांच वर्षों के लिए प्रदान की गयी है।

दरअसल, कृषि वैज्ञानिक समर्थ जैन ने बताया कि किसी भी राष्ट्रीय संस्थान द्वारा जशपुर जिले को इस तरह के उत्पाद तकनीकी हस्तांतरण पहली बार किया गया है, हम इन उत्पादों में महुआ और मिलेट्स जोड़ने के लिए काम करेंगे। साथ ही आदिवासी महिला समूह की सदस्यों को ट्रेनिंग के लिए सोनीपत स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान भेजा जाएगा। ताकि वे एनर्जी बार कुकीज़ बनाने की तकनीक को अच्छी तरह समझ सकें। उल्लेखनीय है कि जशपुर में फुड ग्रेड महुआ एकत्र करने के लिए ग्रीन नेट का उपयोग करने की पहल की जा रही है। जिले के दुलदुला ब्लाक के केंदपानी गांव में ग्रामीणों को ग्रीन नेट से महुआ एकत्र करने की तकनीक सिखाई जा रहा है। वन विभाग और जिला प्रशासन की योजना कालांतर में इसे विस्तार देने की है।

फिलहाल, कृषि वैज्ञानिक समर्थ जैन ने बताया कि ग्रीन नेट से महुआ एकत्र करने के लिए महुआ पेड़ के चारो ओर लकड़ी के सहारे ग्रीन नेट को जमीन से कुछ उपर बिछा दिया जाता है। इससे पेड़ से गिरने वाला महुआ,जमीन में ना गिरकर नेट में जमा हो जाता है। इस तकनीक से महुआ के जमीन में ना गिरने से उसकी गुणवत्ता में भी सुधार होती है और एकत्र करने वाले ग्रामीणों के समय की बचत भी होती है। इस फुड ग्रेड महुआ का उपयोग लड्डु,सैनिटाइजर सहित अन्य उत्पाद तैयार करने में किया जाता है। ग्रीन नेट का प्रयोग करने से महुआ संग्राहकों द्वारा जंगल में पत्ता हटाने के चक्कर में की जाने वाली आगजनी से भी बचाव होने की आशा की जा रही है।