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बगीचा : बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं शिक्षक …..शिक्षिका को भी नहीं पता शिक्षा मंत्री का नाम ……संकुल समन्वयक भी नही करते उचित मॉनिटरिंग….

बगीचा । वर्तमान भारत ।

प्राथमिक शिक्षा शिक्षा की बुनियाद है।प्राथमिक शिक्षा की नींव मजबूत होने पर ही उस पर उच्च शिक्षा की इमारत खड़ी की जा सकती है। इसलिए सरकार भी प्राथमिक शिक्षा पर विशेष जोर देती है और उसके लिए बजट में करोड़ों का प्रावधान करती है किंतु कुछ नकारा शिक्षकों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के कारण शिक्षा के स्तर में किसी प्रकार का सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।इसकी पुष्टि जशपुर जिले के बगीचा ब्लॉक के सुदूर अंचलों में स्तिथ स्कूलों के अवलोकन से किया जा सकता है । अधिकारियों की खानापूर्ति जांच के कारण ब्लॉक के सुदूर अंचलों में पदस्थ शिक्षक पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं और मनमाने ढंग से स्कूल आना – जाना करते हैं।”वर्तमान भारत” के स्थानीय प्रतिनिधियों को शिक्षकों के स्कूल में लेट से आने और जल्दी चले जाने की लंबे समय से लगातार मिल आपरही शिकायतों के बाद प्रांतीय ब्यूरो रोहित कुमार और संभागीय ब्यूरो कृष्णा मानिकापुरी ने कल महादेवडाड क्षेत्र का दौरा कर शिक्षा की वस्तु स्तिथि का जायजा लेने की कोशिश की।उनके दौरे में शिक्षा की स्तिथि की जो तस्वीर उभरकर सामने आया वह न सिर्फ चिंताजनक है अपितु शर्मनाक भी है।

      " वर्तमान भारत "की टीम ने कल ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक शाला डूहडूहकोना का भ्रमण किया।शाला की कुल दर्ज संख्या 18 है जिसमे मात्र 08बच्चे उपस्थित पाए गए।यहां के बच्चों की शैक्षिक स्तर बेहद खराब है।बच्चों का स्तर उनकी कक्षा के अनुरूप बिलकुल ही 
नहीं है। 5 वीं कक्षा के बच्चे भी हिंदी के पाठ्य पुस्तक नहीं पढ़ पाते और बातचीत करने में झिझकते हैं। बच्चे सामान्य बातों का  भी जवाब देने में असमर्थ हैं। 

बच्चों पर शिक्षिका का ध्यान बिलकुल नहीं

     संस्था में  पदस्थ शिक्षिका श्रीमती  शांति कलारा तिग्गा संस्था के बच्चों के प्रति घोर लापरवाह हैं। वे बच्चों के रहन - सहन पर भी बिल्कुल ध्यान नहीं देती। बच्चे बेहद ही खराब स्तिथि में दिखे। बच्चों को न तो सही ढंग से   कपड़े पहनने का सलीका सिखाया गया है और न  बालों को सवारने का। बच्चों के बाल  बेतरतीब ढंग से  बढ़े हुए थे और बिना कंघी के थे।जबकि एक शिक्षक को चाहिए कि वह प्रतिदिन बच्चों के नाखून चेक करे , कपड़े  पहनने का सलीका  सिखाए , सही ढंग से रहना और बात करना  सिखाए और उनके सर्वांगीण विकास की पहल करे । किंतु  बच्चों को देखने और उनसे बातचीत करने से ऐसा लगा ही नहीं कि उन्हें कुछ सिखाया भी गया है। 

शिक्षिका को भी शिक्षा मंत्री का नाम नहीं पता

  "वर्तमान भारत" की टीम ने  शालेय बच्चों से पाठ्यक्रम के अलावा सामान्य जानकारी पर भी प्रश्न किए । टीम ने अपने एक प्रश्न में बच्चों से शिक्षा मंत्री का नाम पूछा और जब बच्चे नहीं  नहीं बता पाए तो टीम ने शिक्षिका को बताने को  कहा  लेकिन वे भी नही बता पाईं। 

गुणावत्तविहीन मध्यान्ह भोजन

संस्था में बच्चों को दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन में भी घोर लापरवाही बरती जा रही है। शासन द्वारा जारी मीनू के अनुसार तो मध्यान्ह भोजन बिलकुल ही नहीं दिया जाता है लेकिन जो दिया जाता है वह भी बिल्कुल गुणावत्ताविहीन होता है । अधिकांश दिनों में सिर्फ खिचड़ी और अचार से काम चलाया जाता है। सब्जी कभी – कभार ही दिया जाता है।

संकुल समन्वयक की भूमिका भी संदिग्ध

शिक्षा में उत्तरोत्तर सुधार लाने और व्यवस्था को चुस्त – दुरुस्त रखने की दृष्टिकोण से संकुल समन्वयकों की नियुक्ति की गई है,जो स्कूलों का लगातार मॉनिटरिंग करते हुए उसका प्रतिवेदन प्रतिमाह उच्च कार्यालय को प्रेषित करते हैं।लेकिन संकुल समन्वयक जोंस लकड़ा की भूमिका इस मामले में संदिग्ध लगती है ।शिक्षिका शांति कलारा तिग्गा से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान सत्र में संकुल समन्वयक सिर्फ एक बार उनकी शाला में आए हैं । शाला की इस प्रकार की दुर्दशा पर संकुल समन्वयक का अभिमत जानने के लिए टीम द्वारा उनके मोबाइल नंबर 8120589287 पर संपर्क करने की कोशिश की गई किंतु कई बार कॉल करने पर भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया और अंत में टीम के नंबर को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया।

उचित देखरेख की जरूरत

शाला और शाला में अध्ययनरत बच्चों की स्तिथि बेहद चिंताजनक है।समस्त परितिथियों का अध्ययन करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षिका और संकुल समन्वयक अपने कर्तव्य निर्वाहन में लापरवाह हैं । इस दिशा में उच्च अधिकारियों को पहल करने की जरूरत है।