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धान खरीदी: डीएमओ की घोर लापरवाही…….करोड़ों के धान पर संकट के बादल …… खरीदी प्रभारियों के माथे पर पड़े बल …..

बलरामपुर । वर्तमान भारत ।

बिरेंद्र पाण्डेय ( प्रधान संपादक )

डीएमओ की घोर लापरवाही के कारण जिले में धान खरीदी की तैयारियां एक बार फिर ढाक की तीन पत्तियां साबित हुई।धान खरीदी में गत वर्ष समय पर उठाव नहीं होने से खरीदी प्रभारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था ,यहां तक कि कई प्रभारियों पर लाखों रुपए का रिकवरी भी निकला गया था।उच्च अधिकारियों की लापरवाही से हुए नुकसान के लिए दोषी ठहराए जाने से व्यथित समिति प्रबंधकों ने इस वर्ष धान खरीदी करने से इंकार कर दिया था । इसके लिए संगठन द्वारा लिखित में सक्षम अधिकारियों को पत्र भी दिया गया था ।लेकिन शासन ने साम , दण्ड ,भेद नीति का पालन करते हुए एक बार फिर समितियों को धान खरीदी के लिए बाध्य कर दिया और सरकार द्वारा यह ढिंढोरा पीटा गया कि इस वर्ष बेहतर तैयारियों के साथ धान खरीदी होगी और शासन द्वारा निर्धारित समय पर धान का उठाव किया जाएगा । शुरू में ऐसा लगा भी कि वाकई इस वर्ष कुछ नया होने वाला है। केन्द्र पर निगरानी समिति से लेकर अन्य अधिकारियों की नियुक्ति भी इस वर्ष कुछ ज्यादा की गई। ताम – झाम खूब किया गया ,लेकिन परिणाम एक बार फिर वही निकला – सिफर !

डीएमओ की लापरवाही

धान उठाव में एक बार फिर डीएमओ बलरामपुर की घोर लापरवाही उजागर हुई है।विदित हो कि खरीदी के 72घंटे के अंदर धान उठाव कराए जाने की जिम्मेदारी डीएमओ की होती है ।विलंब से उठाव होने से सूखती , चूहों ,पशु – पक्षियों, वर्षा से भीगने ,चोरों आदि से नुक़सान का खतरा खरीदी प्रभारियों को सदैव सताता रहता है। खरीदी प्रभारी उठाव को लेकर सदैव चिंतित रहते हैं । मेरे भ्रमण के दौरान भी कई प्रभारियों इस समस्या से मुझे अवगत कराया। मैंने डीएमओ से इस संबंध उनसे मोबाइल से बात भी की। उन्होंने हर बार मुझे इस बात के लिए आश्वस्त भी किया कि उठाव लगातार हो रहा है और समय सीमा में शेष उठाव भी हो जाएगा, लेकिन खरीदी प्रभारियों का यह दुर्भाग्य है कि ऐसा हुआ नहीं । डीएमओ की बातें महज एक झूठा आश्वासन प्रमाणित हुई । विगत दिनों की बेमौसम बरसात और ओला वृष्टि से जिले भर में करोड़ों का धान भीगने से खरीदी प्रभारियों ने जैसे – तैसे बचा लिया किन्तु उनकी सांसे अटकी हुई हैं । माथे पर बल पड़े हुए हैं । यदि उठाव की यही स्तिथि बनी रही तो उन्हे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है ।

कपिलदेवपुर में फंसा 20 हजार क्विंटल धान

जलमग्न धान खरीदी केन्द्र

डीएमओ की लापरवाही से आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित कपिलदेवपुर में बेमौसम बरसात एवम ओला वृष्टि से 20 हजार क्विंटल धान खरीदी प्रभारी की सूझ – बूझ से बड़ी मुश्किल से बचा। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कपिलदेवपुर समिति में समाचार लिखे जाने तक कुल 30 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई थी जिसमें मात्र 10 हजार क्विंटल का उठाव हुआ है और बरसात तथा ओले से 20 हजार क्विंटल धान फंसा हुआ है। यहां का बफर लिमिट मात्र 05 हजार क्विंटल है मगर डीएमओ की लापवाही के कारण 5 हजार की जगह 20 हजार क्विंटल धान पड़ा हुआ था । बरसात और ओला वृष्टि के कारण पूरे केन्द्र में पानी भर गया है जिससे धान के खराब होने की आशंका है ।

चांदो और वाड्रफनगर समितियों में भी बुरा हाल

धान खरीदी केंद्र चांदो

चांदो और वाड्रफनगर समिति में भी उठाव का बुरा हाल है। चांदो में लगभग 21 हजार क्विंटल धान खुले आसमान में पड़ा हुआ । हालाकि खरीदी प्रभारी ने प्लास्टिक से ढंक रखा है किन्तु सुरक्षा की दृष्टि से वह पर्याप्त नहीं है । तेज हवा पानी उसे नुकसान पहुंचा सकता है । समाचार लिखे जाने तक चांदो में 31हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई थी जिसमें से मात्र 10 हजार क्विंटल का उठाव हुआ है और 21 हजार क्विंटल अब भी पड़़ा हुआ है जबकि यहां का बफर लिमिट भी मात्र 5 हजार क्विंटल ही है।इसी प्रकार वाड्रफनगर समिति ने हुए कुल खरीदी 35 हजार क्विंटल में से महज 03 हजार क्विंटल का उठाव हुआ है और 32 हजार क्विंटल पड़ा हुुुआ है ।

उच्च अधिकारी कृपया ध्यान दें

हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। मगर इस बड़े लोकतांत्रिक देश में बड़े अधिकारियों की गलतियों की सजा सदैव छोटे कर्मचारियों को भुगतनी पड़ती है। यही हाल धान खरीदी प्रभारियों की होने वाला है। यदि समय रहते उच्च अधिकारियों ने हस्तक्षेप नहीं किया और सिस्टम में सुधार नहीं किया तो खरीदी प्रभारियों पर गाज गिरना तय है जो उनके साथ सरासर अन्याय होगा । धान का उठाव न होना सिर्फ और सिर्फ डीएमओ की लापरवाही है। उसके लिए खरीदी प्रभारियों को दोषी ठहराया जाना किसी भी दृष्टिकोण से न्यायोचित नहीं होगा। अब भी समय है। यदि समय रहते धान का उठाव कर लिया जाता है तो नुकसान होने से एक बड़ा अंश बचाया जा सकता है। ऐसा लगता है कि चुकी डीएमओ को उनकी गलतियों के दोषी नहीं ठहराया जाता और हर बार नुकसान के कारण का ठिकरा खरीदी प्रभारी के सिर पर फोड़ दिया जाता है संभवतः डीएमओ साहेब इसीलिए आंखें बंद करके चीर निद्रा में पड़े हुए। कृपया अन्य सक्षम अधिकारी ध्यान दें और धान उठाव का समुचित व्यवस्था करने का कष्ट करें ताकि आगे किसी बड़े नुकसान की संभावना को रोका जा सके ।

बिरेंद्र पाण्डेय ( प्रधान संपादक)