Latest:
local newsछत्तीसगढ़

एंबुलेंस के इंतजार में थम गई मासूम की सांस,इंटरनेट मीडिया में छलका पिता का दर्द

ववर्तमान भारत बगीचा

जशपुर नगर। उल्टी से पीड़ित एक 5 माह के बच्चे की एम्बुलेंस की राह ताकते हुए सांस की डोर टूट गई। यूं तो स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में जिले में मरीजो को समय पर अस्पताल पहुचाने के लिए 15 एम्बुलेंस दौड़ रहे हैं। लेकिन,अव्यवस्था की वजह से आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। मामला जिले के सन्नाा तहसील के मरंगीपाठ गांव की है। इस गांव के रहवासी संतोष यादव का कहना है कि सोमवार की रात उसके 5 माह के बेटे को उल्टियां होने लगी।बच्चे की जान बचाने के लिए वे रात को ही बच्चे को लेकर सन्ना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुचे। लेकिन यहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। एक स्टाफ नर्स और कपाउंडर ने बच्चे को बिना देखे ही स्वजनों को रेफर पर्ची थमा थमा दिया। रेफर कर दिए जाने के बाद संतोष यादव जिला मुख्यालय तक जाने के लिए एम्बुलेंस के लिए 108 में काल किया। लेकिन 3 घण्टे गुजर जाने के बाद भी एम्बुलेंस मासूम की सहायता के लिए नहीं पहुँच पाई और उसने दम तोड़ दिया। बदहाल स्वास्थ्य व्यबस्था के कारण बेटे को खोने से नाराज संतोष यादव का दर्द इंटरनेट मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है।

कागज में दौड़ रहे हैं तीन एंबुलेंस जिले का नवगठित सन्ना तहसील,विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा का सबसे बड़ा आवासी क्षेत्र है। कहने के लिए इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तीन एम्बुलेंस उपलब्ध है। इसमे एक 108,एक महतारी एक्सप्रेस और एक बीआरजीएफ फण्ड से उपलब्ध एक एम्बुलेंस शामिल है। लेकिन जिस वक्त संतोष अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए एंबुलेंस की खोज में भटक रहा था,108 का एम्बुलेंस रिपेयर होने के बिलासपुर गई हुई थी। चालक के ना होने से महतारी एंबुलेंस की रात्रिकालीन सेवा बन्द थी,वही बीआरजीएफ फण्ड से प्राप्त एम्बुलेंस बिना डीजल के अस्पताल परिसर में खड़े शो पीस बनी हुई थी। जाहिर है,एक बार फिर सिस्टम की विफलता ने एक मासूम की जान ले ली।

जिले में चालक के 5 पद रिक्त जिले में बदहाल एम्बुलेंस सेवा का एक बड़ा कारण एम्बुलेंस ड्राइवर की कमी है। सीएमएचओ डा रंजीत टोप्पो ने बताया कि जिले में एम्बुलेंस चालक के 29 पद स्वीकृत है। इनमें से 24 पद भरे हुए और 5 खाली है। सन्नाा में भी एक पद रिक्त पड़ा हुआ है। इस वजह से रात के वक्त संतोष यादव को महतारी एम्बुलेंस की सहायता नही मिल पाई।

विवाद के बाद भी नहीं सुधर पा रही है स्थिति जिले में एंबुलेंस और शव वाहन को लेकर लगातार विवाद की स्थिति बनती रही है। लेकिन बावजूद इसके स्थिति नहीं सुधर रही। बीते साल सबसे बड़ा विवाद बगीचा में सड़क हादसे में घायल की मदद के लिए तहसील मुख्यालय में 108 एम्बुलेंस नहीं पहुँच पाई थी। इस मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगे थे। वहीं,फरसाबहार ब्लाक में सैप्टिक टैंक की सफाई के दौरान जहरीले गैस की चपेट में आ कर काल कलवित हुए लोगों को शव वाहन उपलब्ध ना करा पाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग की खूब किरकिरी हुई थी।

एक नजर जिले में उपलब्ध एबुलेंस के आंकड़े पर 108 एंबुलेंस की संख्या 13102 एंबुलेंस की संख्या 12मुक्तांजलि वाहन की संख्या 04मोबाइल मेडिकल युनिट 02शासकीय एंबुलेंस की संख्या 15एंबुलेंस के इंतजार के बच्चे की मौत की घटना के संबंध में जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाउगा। शासन से निर्देश मिलने के बाद वाहन चालक के रिक्त पदों के विरूद्व भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।