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छत्तीसगढ़ समाचार :जशपुर से निकलकर देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचा पौष्टिक और स्वादिष्ट काजू… आठ हजार किसान काजू की खेती से कर रहे आमदनी …

जशपुर। वर्तमान भारत ।

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

जशपुर (छत्तीसगढ़ )वर्तमान भारत!राज्य में अब परंपरागत खेती से अलग कृषि क्षेत्र में अनेक नवाचार हो रहे हैं! इसी कड़ी का हिस्सा जशपुर में होने वाली काजू की खेती है !यहां जिले के करीब 8 हजार किसान काजू की खेती से जुड़े हैं !और बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं !

इसी तरह जिले में स्थापित काजू प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए भी रोजगार मिल रहा है !जिन से महीने में लगभग 28-30 हजार रूपये तक आमदनी हो रही है! जशपुर काजू अपनी पौष्टिकता और स्वाद की वजह से विशेष पहचान बना रही है !जिससे अब इसकी डिमांड राज्य के अन्य शहरों के साथ ही देश के दूसरे राज्यों में भी हो रही है! जशपुर काजू को बाजार तक पहुंचाने का माध्यम ट्राई फेड बन रहा है!

छत्तीसगढ़ के उत्तरी क्षेत्र में मौसम मैदानी और दक्षिण क्षेत्रों से अलग है !जशपुर में मौसम की अनुकूलता को देखते हुए जिला प्रशासन जशपुर में परंपरागत खेती से अलग बागवानी और उद्यानिकी फसलों को प्रोत्साहित कर रही है !इस क्रम में जशपुर में चाय और काजू की खेती का नवाचार हुआ !जशपुर की आबोहवा काजू की खेती के लिए बेहद अनुकूल है !ऐसे में लगातार यहां काजू की खेती की ओर किसान आकर्षित हो रहे हैं !इसके लिए उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को उन्नत किस्म के काजू के पौधे और उन्नत किस्म की तकनीकी जानकारी मुहैया कराई जा रही है !

जिले में काजू की उत्पादकता को देखते हुए जिला प्रशासन के सहयोग से यहां काजू प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित कर दिया गया है !काजू प्रोसेसिंग प्लांट लगने के बाद से किसानों को फसल की तीन गुनी चौगुनी कीमत भी मिलने लगी है !मिली जानकारी के मुताबिक पहले किसान 30-40 रूपए प्रति किलो की दर से काजू का फल बेचते थे !अब जिले में ही प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने के बाद किसानों से काजु की फसल 80,100 और ₹120 की दर से खरीदी की जा रही है !प्रोसेसिंग प्लांट मैं काजू के प्रसंस्करण और पैकेजिंग के बाद इसे बाजार में भेजा जाता है !

लगभग आठ हजार किसान काजू की खेती से जुड़े

काजू की खेती और प्रसंस्करण के बाद बाजार में मिलने वाली कीमत को देखते हुए जिले में लगातार किसान काजू की फसल लेने लगी है !जानकारी के मुताबिक जशपुर जिले के अंतर्गत दुलदुला में 2000 किसान, कुनकुरी में 2000 ,कांसाबेल में 1000 ,पत्थलगांव में 800 और फरसाबहार में 500 किसान काजू की खेती कर रहे हैं !वहीं वन विभाग एवं उद्यानिकी विभाग की ओर से किए गए काजू प्लांटेशन से करीब डेढ़ हजार किसान जुड़कर खेती कर रहे हैं! इस तरह से लगभग 8000 किसान काजू की खेती से जुड़कर आय प्राप्त कर रहे हैं !

ट्राइफेड बना सेतु

जशपुर के किसानों और बाजार के बीच ट्राई फेड सेतु की भूमिका निभा रहा है !प्रोसेसिंग प्लांट से प्रसंस्करण और पैकेजिंग के बाद निकलने वाले काजू के लिए बाजार उपलब्ध कराने का काम ट्राई फेड कर रहा है !वहीं प्रदेश के विभिन्न जिलों में लगने वाले मेला और एग्जीबिशन समेत दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे देश की दूसरे राज्यों के विभिन्न शासकीय व गैर शासकीय एग्जीबिशन में भी जशपुर काजू का स्टाल लगाया जाता है!

संजीवनी केंद्रों में जशपुर काजू

जशपुर काजू की बढ़ती मांग को देखते हुए खास ध्यान दिया जा रहा है !राज्य शासन की जरिए भी लगातार अनेक माध्यमों से जशपुर काजू को प्रमोट किया जा रहा है !वन विभाग की ओर से संचालित संजीवनी केंद्रों में काजू को जशपुर ब्रांड नेम से भेजा जा रहा है !वही अब इसे ऑनलाइन मार्केट प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध कराने की कवायद हो रही है!

महिलाओं को मिल रहा रोजगार

जशपुर में काजू की खेती से जहां आठ हजार किसानों को बेहतर आय का जरिया मिला है! वही प्रोसेसिंग के काम में लगी स्व सहायता समूह की 10 महिलाओं को भी रोजगार मुहैया हो रहा है! प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में रोजगार पाकर महिलाएं परिवार को आर्थिक मदद कर रही हैं! इसमें उनकी नया आत्मविश्वास जागा है !और परिवार में भी उनका सम्मान बढ़ गया है !इन महिलाओं ने बताया कि वर्ष में लगभग 7 से 8 माह काजू प्रोसेसिंग का कार्य करती है..!