ढोल नगाड़े और मांदर की थाप से गूंजा कुसमी नगर धूमधाम से मनाया गया प्रकृति पर्व – सरहुल
कुसमी से अमित सिंह की रिपोर्ट
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी कुसमी स्थित धर्म मंडा में प्रकृति की पूजा का महा पर्व सरहुल (खद्दी) पर्व बड़े ही धूमधाम से आदिवासी समुदाय विशेषकर उरांव समाज के द्वारा तहसील कार्यालय के सामने एक साथ एकजुट होकर भगवान महादेव -पार्वती की पूजा अर्चना करते हुए समस्त जगत कल्याण की कामना करते हुए मनाया गया ,जानकारी हेतु बता दें मध्य पूर्व भारत के आदिवासियों का यह प्रमुख त्यौहार है जो झारखंड छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल और मध्य भारत के आदिवासी क्षेत्र में मनाया जाता है, यह प्रमुख रूप से मुंडा, भूमिज और उराव आदिवासियों द्वारा मनाया जाता है यह उनके भव्य उत्सव में से एक है। यह उत्सव चैत्र महीने के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया पर मनाया जाता है यह पर्व नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, यह वार्षिक महोत्सव बसंत ऋतु के द्वारा मनाया जाता है एवं प्रकृति के अन्य तत्वों की पूजा होती है इस समय साल पेड़ों को अपनी शाखाओं पर नए फुल मिलते हैं इस दिन छत्तीसगढ़ को छोड़कर झारखंड में राजकीय अवकाश भी रहता है। त्यौहार के दौरान साल के फूलों को सरना स्थल पर लाया जाता है। हालांकि एक आदिवासी त्यौहार होने के बावजूद सरहुल भारतीय समाज के किसी विशेष भाग के लिए प्रतिबंधित नहीं है अन्य विश्वासी और समुदाय जैसे हिंदू, मुस्लिम ,ईसाई लोक नृत्य करने वाले भीड़ को बधाई देने में भाग लेते हैं सरहुल सामूहिक उत्सव का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है जहा हर किसी की प्रतिभागी है।
कुसमी सरहुल पूजा के लिए निकलने वाली शोभायात्रा में शामिल होने के लिए दूरदराज से ही समुदाय के लोग कुसमी नगर में एकत्रित होना शुरू हो गए थे, पारंपरिक वेशभूषा धारण किए हुए युवा – युवती ढोल और नगाड़े के साथ नगर भ्रमण किया, यह नगर भ्रमण कार्यक्रम कुसमी नगर के मस्जिद रोड होते हुए शिव चौक पहुंचा जहां बस स्टैंड होकर पुनः धर्म मंडा में सभी समुदाय के लोग एकत्रित हुएl
सभा को संबोधित करते हुए समाज के संरक्षक एवं बालक उत्तर माध्यमिक विद्यालय कुसमी के प्राचार्य राजेंद्र भगत ने कहा आदिवासी समाज अपने पुरखों की नीतियों और परंपराओं का पूरी तरह से पालन करते आ रहा है , यह सिलसिला भी आगे जारी रहेगा उन्होंने सचेत करते हुए सभी को एक साथ चलने की अपील की एवं सरहुल पूजा की विधि और महत्व का विस्तार से लोगों को वर्णन किया इस अवसर पर उन्होंने पारिवारिक लोकगीत गाकर उपस्थित लोगों का मन भी मोह लिया. इस बीच धार्मिक कार्यक्रम में क्षेत्र के क्षेत्रीय विधायक चिंतामणि महाराज भी उपस्थित हुए उनके साथ एस.डी.एम. अनमोल विवेक , समाज के देवान रामचंद्र निकुंज भी उपस्थित रहे रामचंद्र निकुंज के नेतृत्व में चैत्र पूर्णिमा सरहुल पर्व पर प्रतिवर्ष सामान्य अवकाश घोषित हो एवं ग्रामीणों की अखरा सरना स्थल को संरक्षित किया जावे सहित कुल 6 मांगों का मांग पत्र भी मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया। सभा को संबोधित विधायक चिंतामणि महाराज ने किया एवं उन्होंने कहा कि आज यहां कुसमी की पावन भूमि पर सरहुल पर्व में शामिल होकर सुखद अनुभूति हो रही है, हमारे समाज का कथन था कि हम आदिवासियों का चलना ही नृत्य और बोलना ही संगीत है , हमारी विचारधारा हम लोगों को खूबसूरत और सौहार्द पूर्ण जीवन जीने का संदेश देता है, अपनी परंपरा और संस्कृति को बनाए रखने का प्रयास हमें करना चाहिए। जल -जंगल और जमीन हमारा है इसे बचाना है, हमें अपनी परंपरा संस्कृति को सहेजने में योगदान देना है .सामाजिक व्यवस्था को ही मजबूत करना है ,चिंतामणि महाराज ने अपनी निधि के राशि से सरना पूजा स्थल का जीर्णोधार कार्य एवं कार्यक्रम के लिए स्टेज पर निर्माण और देवी गुड़ी का जीर्णोधार कार्य का लोकार्पण किया । सभा का संबोधन देव धन भगत सहित अन्य जनप्रतिनिधि ने ने किया मंच का संचालन पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास के अधीक्षक सौरभ भगत एवं प्रीमैट्रिक बालक छात्रावास कुसमी के अधीक्षक उत्पल भगत ने किया इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य हीरामणि निकुंज ,सिविल दाग सरपंच बसंती भगत ,श्रीकोट सरपंच सुनीता भगत, देवरी सरपंच शशि टोप्पो,सामाजिक करकर्ता इंद्रदेव निकुंज, अनिल भगत, ललसू राम सचिव ,अंबिकेश्वर पैकरा, प्रहलाद भगत, राजू भगत, सुनील नाग, लक्ष्मी नारायण भगत, बालेश्वर राम , सुनील नाग, जितेंद्र राम, राम साय राम, अमरजीत भगत ,शिवधारी राम ,प्रीतम भगत (राजस्व विभाग), पिंटू भगत , बृजेंद्र भगत,गौरव कुजुर ,युवा विधानसभा अध्यक्ष दीपक बुनकर, संदीप भगत, शहीद क्षेत्र के हजारों की संख्या में युवा युवती शामिल रहे।