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छत्तीसगढ़ का सीतापुर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का बना गढ़…चार चुनावों में भाजपा यहां खोल नहीं पाई खाता…पढ़ें पूरी खबर

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

सीतापुर (छत्तीसगढ़ )वर्तमान भारत। सरगुजा जिले का सीतापुर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ बन चुका है। राज्य गठन के पश्चात हुए चार चुनावों में भाजपा खाता नहीं खोल पाई है।

बता दे, कि आजादी के बाद 1952 से अब तक हुए चुनाव में भी भाजपा के किसी उम्मीदवार ने जीत दर्ज नहीं की है। छत्तीसगढ़ की यह इकलौती सीट है, जहां भाजपा के लिए जीत चुनौती बनी हुई है। चार बार के विधायक अमरजीत भगत को भूपेश सरकार में मंत्री बनाया गया है। भगत के मंत्री बनने के बाद स्थानीय लोगों में विकास की उम्मीद जगी। दरसअल, तीन चुनाव में भगत की जीत होने के बावजूद प्रदेश की सत्ता भाजपा के हाथ में थी। विपक्षी दल का विधायक होने के कारण कांग्रेस नेता विकास कार्यों में भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं।

उत्तर छत्तीसगढ़ में धान के कटोरे व मैनपाट में आलू की खेती के साथ पर्यटन के लिए सीतापुर प्रसिद्ध है। उरांव जनजाति बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में 2008 में परिसीमन के बाद कंवर जनजाति के लोगों की संख्या भी बढ़ी है। ईसाई समुदाय और उरांव जनजाति का रुझान शुरू से कांग्रेस की ओर रहा है। दरिमा, बरगंवा, नवानगर क्षेत्र परिसीमन के बाद जुड़ा, जहां कंवर जनजाति के मतदाता अधिक हैं। ये भी परंपरागत रूप से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करते रहे हैं। वर्ष 2008 में प्रदेश के कद्दावर मंत्री रहे आदिवासी नेता गणेशराम भगत को भाजपा ने यहां से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वह भी जीत का स्वाद नहीं चख पाए और भगत से मात्र 1737 मतों से पराजित हो गए।

स्थानीय लोगों की मानें तो प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद पुल, पुलिया का निर्माण, मैनपाट को पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के साथ सड़कों का जाल बिछाने का काम हुआ है। सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा संगठन मजबूत होते हुए भी पारंपरिक कांग्रेस मतदाताओं के कारण जीत का स्वाद नहीं चख पा रहा है। अमरजीत भगत की सक्रियता का आंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के घर छठी, बरही, शादी, विवाह, तेरहवी किसी भी तरह के आयोजन में वह पहुंचते हैं। यही कारण है कि सीतापुर के मूल निवासी नहीं होते हुए वे बिश्रामपुर पार्वतीपुर सूरजपुर की जगह यहां से चार चुनाव में लगातार जीत दर्ज करते रहे।

युवाओं को मिल रहा लाभ, पर्यटन के रूप में मैनपाठ

सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का पर्यटन स्थल मैनपाट आता है। मैनपाट में सड़कों की हालत सुधरने के बाद हर पर्यटन प्वाइंट पर पहुंचना आसान हो गया है। यहां बेहतर सुविधा व बेहतर विकास होने के कारण न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि दूसरे प्रांतों से भी पर्यटक आने लगे हैं। इसका सीधा फायदा स्थानीय युवाओं को हुआ है। रोजी, रोजगार के साधन विकसित हुए हैं। दर्जनों होटल खुल चुके हैं।महिला समूह को भी आय अर्जित करने का अवसर मिला है। पर्यटन केंद्र के रूप में मैनपाट का विकास पूरे सरगुजा को गौरवांवित कर रहा है।

क्षेत्र का विकास नहीं, 20 साल से विधायक होने पर

प्रो. गोपाल राम वर्ष 2018 में भाजपा के प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक प्रो. गोपाल राम ने कहा कि अमरजीत भगत बीस साल से क्षेत्र के विधायक हैं। उन्हें खुद अपने काम काज का आंकलन करना चाहिए। अब तो प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री भी हैं। इसके बाद भी क्षेत्र के विकास में गति नहीं आई। पेयजल की सुविधा नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी पुल-पुलिया का अभाव है। इन्हीं का क्षेत्र है जहां ग्रामीण एंबुलेंस की सुविधा नहीं पाते और खाट में मरीजों को अस्पताल तक लाना पड़ता है। क्षेत्र में विकास नहीं हुआ है इसका प्रमाण अब मंत्री खुद दे रहे हैं। दूरस्थ क्षेत्र में साढ़े चार साल बाद अधिकारियों के साथ दौरा कर रहे हैं जहां सड़क का अभाव है, पुल-पुलिया का अभाव है। बातों में कितना भी दावा कर लें पर सीतापुर विधानसभा क्षेत्र अभी भी विकास से कोसों दूर हैं।

सीतापुर विधानसभा क्षेत्र के मैनपाट में कृषि विज्ञान केंद्र एवं आलू अनुसंधान केंद्र की स्थापना ने खेती को एक बड़ा आयाम दिया है। कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से चलाए जा रहे विज्ञानी खेती से क्षेत्र के किसानों को बड़ा लाभ मिल रहा है। मैनपाट में हजारों एकड़ में आलू की खेती होती है, ऐसे में आलू अनुसंधान केंद्र का खुलना और यहां हिमाचल प्रदेश व अन्य ठंडे प्रदेशों के फलों और सब्जियों की खेती का आरंभ होना किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इन सबका श्रेय भी विधायक अमरजीत भगत को मिलता रहा है।

मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि सीतापुर विधानसभा क्षेत्र समग्र विकास की ओर अग्रसर है। क्षेत्र में पहली बार सड़कों का जाल बिछा है। अंबिकापुर से सीतापुर तक शानदार सड़क बन चुकी है। सीतापुर से मैनपाट पर्यटन स्थल तक व मैनपाट से दूसरे हिस्से को जोड़ने वाली दरिमा एयरपोर्ट से अंबिकापुर की सड़क भी चकाचक हो चुकी है। आंतरिक सड़कें जो कभी लगती ही नहीं थी बन पाएंगी, पेट, पीड़िया मार्ग का निर्माण भी हो गया है। कई आंतरिक सड़कों की हालत सुधर चुकी है। पुल-पुलिया का निर्माण हो रहा है। शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हुआ है। आत्मानंद स्कूल ने शिक्षा की नए द्वार खोले हैं। सीतापुर में स्नातकोत्तर कालेज, आइटीआइ की स्थापना से उच्च शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। मैनपाट को पर्यटन के क्षेत्र में नई पहचान मिल गई है।

सीतापुर क्षेत्र में वर्ष 1952 से 1962 तक हरिभंजन सिंह विधायक रहे। 1962 से 1972 तक कांग्रेस के मोक्षमदन सिंह, 1972 से 1990 तक कांग्रेस के ही सुखीराम विधायक रहे। 1990 में जनता दल व भाजपा में समझौता हुआ इसके बाद भी उनका प्रत्याशी जीत न सका। रामखेलावन सिंह ‘गुरुजी’ ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

बतौली से लगे चिरंगा एलुमिना हाइड्रो पावर प्लांट की स्थापना को लेकर पिछले साल भर से चल रहा गतिरोध अमरजीत भगत के लिए नासूर बन गया है। लगभग 10 गांवों के लोग लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। विधायक ने कई बार कहा कि ग्रामीण जैसा चाहेंगे वैसा होगा पर यह भी आरोप लगा है कि पावर प्लांट खुलवाने में विधायक की सहमति है। इस कारण ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं।