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चारा घोटाले से भी गंभीर छत्तीसगढ़ में गोठान घोटाला है – कमलभान सिंह …चारा घोटाले की तर्ज़ पर ही इस घोटाले की सीबीआई जांच हो – प्रबोध मिंज

इरफान सिद्दीकी की रिपोर्ट


आज संकल्प भवन भाजपा कार्यालय अंबिकापुर में भाजपा सरगुजा द्वारा प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। भाजपा जिला अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह के मार्गदर्शन, वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल सिंह मेजर, ओबीसी मोर्चा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सोनी, अंबिकापुर मंडल अध्यक्ष मधुसूदन शुक्ला, संवाद प्रमुख संतोष दास और सह संवाद प्रमुख रूपेश दुबे की उपस्थिति में पूर्व सांसद कमलभान सिंह और निगम नेता प्रतिपक्ष प्रबोध मिंज ने प्रेस को संबोधित किया।
कमलभान सिंह ने अपने संबोधन में गोठानों के नाम पर 1300 करोड़ रुपए का दुरुपयोग और घोटाले का आरोप प्रदेश सरकार पर लगाया है।
उन्होंने ने कहा कि गौ माता के नाम पर कांग्रेस की भ्रष्ट प्रदेश सरकार ने बिहार के चारा घोटाले से बड़ा घोटाला किया है। प्रदेश सरकार के इन तथाकथित गौठनों में न गाय है और न ही गोबर।
गौठानों के नाम पर भी कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने सब्जबाग दिखाए, लेकिन न तो गौठानों में गायों के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए और न ही गोबर से निर्मित खाद का कहीं अता पता है। हाल ही में 269 करोड़ रुपए के तो केवल गोबर घोटाले का खुलासा हुआ है और प्रदेश सरकार इस आरोप का जवाब तक विधानसभा में नहीं दे पाई। इससे साफ है कि प्रदेश सरकार ने हर क्षेत्र में बेदर्दी से घोटाला करके प्रदेश के संसाधनों की लूट मचा रखी है। प्रदेश में चहुँओर गौठानों का बुरा हाल है और गौवंश बेहाल है। कांग्रेस ने गंगाजल को हाथ में लेकर कसम खाई थी पर उसकी प्रदेश सरकार ने न गंगा माता को छोड़ा और न गौमाता को छोड़ा।
कमलभन सिंह ने भाजपा द्वारा हाल ही चलाए गए प्रदेश के 3,948 गौठानो तक पहुंचकर ‘पोल खोल अभियान’ की चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी गौठानो में कहीं भी गाय नहीं है। अनेक जगह कांग्रेस की गुंडागर्दी सहते हुए, सत्ता की हिंसा आदि झेलते हुए भी कार्यकर्ताओं ने अपनी जान पर खेलकर प्रदेशभर से आँकड़े जुटाए हैं। कई जगह तो मीडिया के कैमरे के सामने भी कांग्रेसियों ने मारपीट की। भाजपा कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला भी किया। फिर भी भाजपा पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं ने इस अभियान को पूरा किया और पाया कि हमने जितना सोचा था, गौठानों के हालात उससे भी अधिक भयावह हैं। बदइंतजामी का आलम यह है कि अक्टूबर 2022 में सिर्फ 3 गोठानो में 150 गौओं भूख, प्यास और घुटन के चलते दम तोड़ा। मुख्यमंत्री बघेल के अपने विधानसभा क्षेत्र के अचानकपुर गोठान में ही 25 गायों की हत्या हुई। इसी तरह आदर्श दर्जा प्राप्त गौठान से रातो-रात हिस्ट्रीशीटर गौ तस्करों ने 40 से 50 गायों की चोरी को अंजाम दिया। यह बेहद शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में गायों की हत्या हो रही है और गृह मंत्री के क्षेत्र में गौ माता की चोरी हो रही है। जहां 40 से ज्यादा गोवंश के गौठान से चोरी होने की पुलिस चौकी में शिकायत की गई है।
आगे कमलभान सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार गौठानों के नाम पर चाहे जितना ढोल पीट रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश में 9,290 गौठान का दावा है, परंतु 2023-24 में 175 करोड़ की बजट राशि लेने वाली इन गौठानों में से 80% गौठानों में गाय रहती ही नहीं। प्रत्येक गौठान में 300 गाय रखने का नियम है। भूपेश जी ने कहा कि गर्मी में गाय कहीं और चली जाती हैं, पर अब तो बरसात चालू हो चुकी है। फिर भी निरीक्षण के दौरान हमें गाय नहीं मिली। रोका-छेका का जमीनी सच यह है कि गायें आज भी सड़कों पर दिखाई पड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायतों से जबरन वसूली गई राशि को गौठानों में खर्च ही नहीं की गई और गौठान के नाम पर चल रहे गोरखधंधे में कांग्रेस सरकार ने सबसे अधिक पंचायतों/सरपंचों के अधिकार पर ही डाका डाला है। विभिन्न मदों में पंचायतों के विकास के लिए आयी राशि को सरपंचों से छीनकर सीधे उसकी अनेक बहानों के साथ बंदरबाँट कर ली गई है। कांग्रेसी नेता बिना चुनाव के गोठनो पर कब्जा करके बैठ गए हैं।

भाजपा नेता व निगम नेता प्रतिपक्ष प्रबोध मिंज ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा गांवों के विकास के लिए भेजी गई राशि में भूपेश सरकार ने गौठानों के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया है। प्रदेश सरकार ने दो रुपए किलो की दर से गोबर खरीदकर उसे 10 रुपए प्रति किलो की दर से घटिया वर्मी कंपोस्ट के नाम पर किसानों को बेचा गया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में निर्मित गोठानों में मूलभूत सुविधाओं जैसे पानी की व्यवस्था, शेड की व्यवस्था, चारा की व्यवस्था, गोबर खरीदी-बिक्री की व्यवस्था, व गोबर से वर्मी खाद बनाने की व्यवस्था की कमी के चलते ग्रामीणों की आय में वृद्धि के लिए गौठान बनाने वाली सरकार के सभी दावे केवल झूठ के पुलिंदे और कागजी ही हैं। सरगुजा के इलाकों में ग्रामीणों ने बताया कि गौठान में आज तक एक भी गाय नहीं रही हैं। अधिकारियों के आने पर यहां गाय को इकट्ठा कर फोटोग्राफी करवा कर फिर गौठान खाली करवा दिए जाते हैं। सरगुजा जिले में उन्होंने स्वयं निरीक्षण उपरांत पाया कि गौठान में गाय नहीं है फिर भी हर महीने हजारों रुपयों का खर्च प्रति गौठान के हिसाब किया जा रहा है और गोबर भी बेचा जा रहा है। जब गौठान में पशु ही नहीं हैं तो गोबर की बिक्री कहाँ हो रही है? सरगुजा जिला में दूरस्थ वन ग्रामों में तो स्थिति और भी गंभीर है। वहां के गोठानों के निरीक्षण में पाया गया कि वहां गोठानों को केवल भूमि घेरने के लिए उपयोग किया जा रहा है तथा प्रति गोठान लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ऐसा कोई ढांचा गोठानों में दिखाई नहीं दिया।

प्रबोध मिंज ने कहा कि कई स्थानों पर तो ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने गोबर तो बेचा परंतु एक ढेला आज तक सरकार की तरफ से प्राप्त नहीं हुआ। जब प्रशासन से इसकी जानकारी ली गई तो कोई जवाब नहीं मिला। गौठानों में कार्यरत समिति के कार्यकर्ताओं को गौठान में कार्य करने का मेहनताना पिछले कई महीनों से नहीं दिया गया है। प्रदेश में 1,976 लोग हैं जिन्हें 1 लाख से अधिक राशि का भुगतान गोबर के नाम पर किया गया है।
प्रबोध मिंज ने मांग की है कि बिहार के चारा घोटाले की तर्ज पर ही इस गौठान घोटाला की जाँच सीबीआई से कराई जाए।