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आग ही आग, ये आग कब बुझेगी? चिरमिरी में जमीन के अंदर धधक रहा कोयला खदान…जहरीली गैस में जीने को मजबूर…SECL अफसरों की घोर लापरवाही…पढ़ें पूरी खबर


मनेद्रगढ़- चिरमिरी- भरतपुर :- छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र में जमीन के नीचे आग धधक रही है. जमीन के नीचे कोयले में सुलग रही आग को बुझाने को लेकर एसईसीएल प्रबंधन खास गंभीरता नहीं दिखा रहा है.

खदानों में आग से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम होते हैं, मगर चिरमिरी  में लगी आग को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा. अब तक इसे बुझाने में दिखाई गई लापरवाही का ही नतीजा है यह आग अब बेकाबू होने की स्थिति में है. इससे खनिज संपदा का तो नुकसान हो ही रहा है, साथ ही आम लोगों को भी जहरीले धुएं के बीच जीना पड़ रहा है.

खदान बंद करते समय बरती गई लापरवाही

आपको बता दें कि चिरमिरी क्षेत्र में कोयले का काफी अधिक भंडार है. यहां कोयले की खुली और भूमिगत खदानें हैं. जिन पुराने भूमिगत खदानों को आग की वजह से बंद किया गया, वहां वर्षों से जमीन के नीचे आग दहक रही है. चिरमिरी वासी जहरीले धुंए में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं. फायर प्रोजेक्ट एरिया में आग को बुझाने के बजाए, जलते हुए कोयले का ही ट्रांसपोर्टेशन किया जा रहा है. कालीबाड़ी के पास कुरासिया के बंद खदान में आग लगने के कारण 2004 में एसईसीएल ने खदान के मुहाने पर दीवार जोड़कर खदान को बंद कर दिया था, लेकिन अंदर लगी आग को नहीं बुझाया गया. यही हाल अन्य खदानों का है. आपको बता दें कि कोयला निकालने के बाद एसईसीएल को खदानों में रेत फीलिंग कर खदान को बंद करना होता है, लेकिन एसईसीएल अफसरों की लापरवाही ने चिरमिरी वासियों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है.

जहरीली गैस में जीने को मजबूर लोग

दरअसल, आरटीआई कार्यकर्ता व समाज सेवक राजकुमार मिश्रा ने कहा कि हमारा चिरमिरी शहर आग के ज्वालामुखी के ऊपर बसा हुआ है. यहां कोयला निकालकर चूहे की बिल जैस आकृति छोड़ दी गई है. कोयला ज्वलनशील है इसलिए ऑक्सीजन के संपर्क में आकर आग लग जाती है. जिससे जगह-जगह कार्बन मोनोऑक्साइड निकलने लगता है. पहले कई जीव-जंतुओं की मौत हो चुकी है. लेकिन, एसईसीएल प्रबंधन पर्यावरण को बर्बाद करने में लगा हुआ है. उन्होंने इस संबंध में पहले एफआईआर भी की थी.

फिलहाल, वहीं भाजपा नेता संजय सिंह ने कहा कि चिरमिरी क्षेत्र में ही मेरा जन्म हुआ है. शहर में जिधर भी जाएंगे जहरीली गैस निकलती नजर आती है. पहले जानवरों की मौत हो चुकी है. यह गैस इंसानों के साथ जानवरों के लिए भी खतरनाक है. एसईसीएल कोयले का दोहन करती आई है. अंडरग्राउंड खदान से कोयला निकालने के बाद रेत फीलिंग किया जाता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता है. जिस कारण खदानों में आग भड़क रही है. एसईसीएल गैस वाले स्थानों पर ऊपर से मिट्टी फीलिंग कर दिखावा करती है.