Latest:
विविध

पूर्व सरपंच -सचिव पर लगे गंभीर आरोप …. स्वच्छ भारत मिशन योजना में भ्रष्टाचार, गरीबों के हक की राशि डकार गए सरपंच – सचिव ….ग्राम पंचायत सिर्फ कागजो मे ODF घोषित

शौचालय बनवाने के लिए लाखों की राशि सेंशन

शौचालयों का निर्माण आधा-अधूरा पड़ा*

ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर*

पुसौर ( रायगढ़ ) । वर्तमान भारत ।

रितेश सिदार की विशेष रिपोर्ट


एक ओर सरकार गरीबों के कल्याण और उत्थान के लिए अनेक योजनाएं बनाती है, ताकि गरीबों को उसका लाभ मिल सके । लेकिन जिम्मेदार बीच में ही योजना का पैसा डकार लेते है, जिससे जरूरतमंदों को उसका लाभ नहीं मिल पाता है । ऐसा ही हाल रायगढ़ जिले के पुसैार ब्लॉक ग्राम पंचायत त्रिभौना का है

शौचालय निर्माण पड़े अधूरे

ग्राम पंचायत त्रिभौना गांव में शौचालय निर्माण के लिए पूर्व मे शासन द्वारा लाखों की राशि स्वीकृत की गई थी । पूर्व सरपंच संतोष गुप्ता सचिव सरस्वती सिदार ने शौचालयों का आधा-अधूरा निर्माण कराया और गरीबों के हक की राशि डकार गए । यही नहीं ग्राम पंचायत त्रिभौना सिर्फ कागजो मे ODF घोषित है

ग्राम पंचायत त्रिभौना ODF घोषित है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है ग्रामीण आज भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं ।जनपद पंचायत पुसौर के अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से ये पूरा भ्रष्टाचार हो रहा है । ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व सरपंच-सचिव द्वारा बनाये गये शौचायल उपयोग करने लायक नहीं हैं । निर्माण में घटिया साम्रगी का प्रयोग किया गया है । शौचालयों में न सीट लगी है और न ही दरवाजा कई हितग्राही ऐसे है जिनका शौचालय के नाम का गढ्ढा तक नहीं खोदा गया है
जब इस मामले में पूर्व सरपंच व सचिव से बात की तो उन्होंने किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से इनकार कर दिया ।

कई जगह,प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार हुआ

आपको बता दें कि, ये पहला मामला नहीं है, जहां प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार हुआ हो । इससे पहले भी कई जगह से सरपंच-सचिव के कारनामें सामने आए हैं । अब देखना होगा की दोषियों पर कार्रवाई होती है या नहीं और शासन की योजनाओं को यूं ही पलीता लगता रहे.

स्वच्छ भारत मिशन में सरकारी राशि का दुरूपयोग इस कदर हुआ हैं। कि अभी भी गांव में शौचालय का काम पूर्ण नहीं हुआ हैं और गांव को शौच मुक्त घोषित कर दिया गया हैं। लेकिन अब अधिकांश गांवों के ग्रामीणों को लोटे से मुक्ति नहीं मिली हैं। ऐसे में करोड़ो खर्च होने के बाद भी गांवों को अभी भी शौचमुक्त अब तक नहीं बनाया जा सका हैं।