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नेतनांगर में बन रहे डेम की जांच करने से बच रहे हैं अधिकारी

आशीष यादव की रिपोर्ट

रायगढ़। शहर से लगे ग्राम नेतनांगर में वन विभाग द्वारा कैंपा मद बनाए जा रहे डेम निर्माण में स्टीमेट को दरकिनार कर काम किया जा रहा है। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग के आला अधिकारी जांच कराने से कतरा रहे हैं। यही कारण है कि अब तक न तो उच्च कार्यालय से इसकी जांच को लेकर कोई मार्गदर्शन मिला न ही स्थानीय स्तर पर इसमें जांच कराई गई।

जुर्डा के तर्ज पर ही नेतनांगर में वन विभाग द्वारा कैंपा मद के तहत अदन डेम का निर्माण कराया जा रहा है। ५६ लाख ६८ हजार रुपए की लागत से बन रहे इस डेम के लिए विभाग द्वारा तैयार किए गए स्टीमेटम को दरकिनार कर काम किया जा रहा है। यहां भी जानबूझकर ऐसे स्थल का चयन किया गया है जहां पहले से गड्ढा था। गड्ढे वाले क्षेत्र की छिलाई कर पहले से बने रोड के उपर छिलाई में निकले मिट्टी को डालकर पार बना दिया गया है। जबकि स्टीमेट में यह स्पष्ट किया गया है कि पार मौके पर खेदाई से निकले मिट्टी के अलावा बाहर से मिट्टी लाकर पार बनाना है जिसमें मिट्टी व पत्थर दोनो डालकर रोलर चलाने कहा गया है। , लेकिन इन सभी बातों को नजरअंदाज कर डेम निर्माण का काम किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि वन विभाग के उच्च अधिकारियों को इस मामले की जानकारी नहीं है। डीएफओ ने खुद ही जांच के लिए सीसीएफ कार्यालय को पत्र लिखा है, इस मामले में निर्माण कार्य करीब पूर्णता की ओर है लेकिन अब तक इस मामले में न तो सीसीएफ कार्यालय से जांच के लिए कोई टीम गठित हुई न ही स्थानीय स्तर पर उच्च अधिकारियों ने इस मामले में जांच कराया।

यह कैसा नियम
इस मामले को लेकर वन विभाग के आला अधिकारियों से पूर्व में चर्चा की गई थी तो बताया गया था कि खुद के द्वारा कराए जा रहे निर्माण की जांच खुद कैसे करेंगे इसलिए सीसीएफ को पत्र भेजने की बात कही गई थी, लेकिन एक ओर जहां जुर्डा में इसी कैंपा मद से बनाए जा रहे तालाब की जांच स्थानीय स्तर पर की गई, लेकिन नेतनांगर में डेम निर्माण की जांच नहीं की जा रही है।

क्य है स्टीमेट
खोदी हुई मिट्टी और अच्छी क्वालिटी की मिट्टी से पार बनाते हुए इसमें २० सेमीं से अधिक मोटी परतों में बांध भराई करने के साथ उसमें पत्थर मिक्स कर १/२ टन के रोलर या लकड़ी से ठुरमुठों से हर एक परत में चलाने और कम से कम ८ टन वाले शक्ति चलित बेलन से प्रत्येक तीसरी और सबसे उपरी परतों को समतल करने का है, लेकिन यहां पर मिट्टी का ढेर लगाकर छोड़ दिया गया।