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6 साल बाद पति पत्नी साथ रहने को हुए तैयार

25000 भरण पोषण पति ने देना किया स्वीकार

मृत पिता के वसीयतनामा निरस्तीकरण से पुत्रियों को आयोग ने 4/5 हिस्सा दिलाया

नशेड़ी पति ने अपनी गलती स्वीकार किया

इरफान सिद्दीकी की रिपोर्ट

रायपुर 14 मार्च 2023 / राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय एवं श्रीमती अनिता रावटे ने आज राज्य महिला आयोग कार्यालय शास्त्री चौक रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमई नायक की अध्यक्षता में आज 163 वां जन सुनवाई हुई। रायपुर की आज जनसुनवाई में कुल 34 प्रकरण रखे गये थे। इनमे से शेष प्रकरण को आगामी समय मे सुनवाई की जाएगी।

एक प्रकरण में अवेदिका के पति का दूसरी महिला से अवैध संबंध है उसे अनावेदक बनाया जाए और आगामी सुनवाई में बुलाया जाए ताकि पति-पत्नी के दांपत्य जीवन में दूसरी महिला हस्तक्षेप ना कर सके।

अनावेदक को समझाए जाने पर अनावेदक आवेदिका को बिलासपुर के अपने निवास स्थान में सम्मान जनक ले जाएगा और उसकी पढ़ाई, जॉब करने की पूरी सुविधा उपलब्ध कराएगा। पिछले 6 वर्ष में आज तक अपनी पत्नी को भरण-पोषण नहीं दिया है इसीलिए आयोग द्वारा अनावेदक को बिलासपुर में निवास के दौरान ₹25000 प्रति माह घर खर्च के लिए आवेदिका को देगा और 15 दिन उसके साथ में रहेगा आवेदिका अपनी सास को अपने साथ रखकर देखभाल करने को तैयार है प्रकरण 1 वर्ष तक निगरानी में रखा जाएगा।

अन्य प्रकरण में आवेदिका के साथ उपस्थित अनावेदक ने बताया कि उनके चार बहने हैं जिसमें से एक बहन अनुपस्थित है और एक बहन ने अनावेदक के खिलाफ यह मामला दर्ज कराया है। उनके पिता असिस्टेंट सेल टैक्स ऑफिसर के पद पर रहते हुए 2001 मैं सेवानिवृत्त हुए थे उसके पश्चात 2015 में उन्होंने गुढ़ियारी स्थित स्व अर्जित संपत्ति से बनाए मकान को अनावेदक के नाम से रजिस्टर्ड वसीयतनामा दिनांक 17 मार्च 2015 को किया था। जिसे दिनांक 17 अप्रैल 2017 को उक्त पूर्व वसीयतनामा 2015 के बनाए गए‌ वसीयतनामा का निरस्तीकरण किया था। यह निरस्तीकरण वसीयतनामा भी रजिस्टर्ड है। जिसकी प्रति आवेदिका ने आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। इस वसीयत नामा के पश्चात उनके पिता की मृत्यु 13 नवंबर 2022 को बरगढ़ में उनकी छोटी पुत्री के घर पर मृत्यु हुई थी। जिसके मृत्यु के सुचना दिये जाने पर भी अनावेदक (पुत्र) वहां नहीं पहुंचे थे। तब उभय पक्ष की बहन जिनके घर पर आवेदिका के पिता निवास करते थे उनके द्वारा अपने पिता का अंतिम संस्कार कराया गया। इस स्तर पर मृतक का अन्तर्वेदना प्रमाण पत्र आवेदिका ने प्रस्तुत किया।जो कि दिनांक 16/01/17 को लिखा गया था। उक्त पत्र के अंतिम पेज पर उन्होंने लिखा था कि उनकी मृत्यु हो जाने पर अनावेदक मुखाग्नि नहीं देगा, अंतिम संस्कार नहीं करेगा और ना ही उन्हें स्पर्श करेगा। उनका अंतिम क्रियाकर्म उनकी पुत्रियां करेंगे। इसके पश्चात मृतक के हाथों लिखा हुआ है अधिकार पत्र 18/08/17 का है। जिसमें उन्होंने अपने चारों बेटियों को गुढ़ियारी के मकान के नीचे हिस्से में रहने का लिखा था और ऊपर के हिस्से अनावेदक को निवासी करने का उल्लेख किया था।

उभय पक्ष के स्व. पिता के रजिस्टर्ड वसीयतनामा, रजिस्टर्ड वसीयतनामा निरस्तीकरण और उनके पत्रों का अध्ययन करने से यह स्पष्ट है कि गुढ़ियारी स्थित तिलक नगर में लगभग 1200 Sq. का दो मंजिला मकान उनकी स्व अर्जित संपत्ति से बनाया था और उनके द्वारा रजिस्ट्रड वसीयतनामा निरस्तीकरण के कारण उस संपत्ति के कुल 5 हिस्सेदार हैं। जिसमें अनावेदक को 1/5 और उनके चारों बहनों को 4/5 हिस्सा पाने का वैधानिक हक है।
इस स्तर पर उभय पक्ष ने बात किया तो उनको यह जानकारी दिया गया कि दोनों पक्ष सहमत है और आयोग इस मौके पर जांच के लिए टीम भेजा जाकर उसकी रिपोर्ट के आधार पर वे लोग अपना संपत्ति के विवाद का निराकरण कराने को सहमत है। इस प्रकरण में आयोग के अधिवक्ता मौके पर पहुंचकर निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

इसी प्रकार अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष को सुना गया प्रकरण में आवेदिका के द्वारा विस्तृत आवेदन नहीं दिया है और दस्तावेज क्रमबद्ध किए जाने हेतु संशोधन करने के लिए समय की मांग किया है। अनावेदक कहता है कि माननीय उच्च न्यायालय में अवमानना लगाया है और उसी के आधार पर व्हाट्सएप ग्रुप में सूचना डाला था जो कि स्पष्ट अवमानना की श्रेणी में होता है। दोनों पक्षों का विभाग अलग-अलग है शासन स्तर पर दोनों का प्रमुख सचिव एक ही अधिकारी है शासन के प्रमुख को पत्राचार करना था लेकिन उसने अपने यूनियन के लेटर पैड से पत्र जारी किया जोकि स्पष्ट अवमानना का पत्र है इस मुद्दे पर अनावेदक को अपना स्पष्टीकरण देने के लिए समय दिया गया है विपक्ष आगामी सुनवाई में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करेगा।

अन्य प्रकरण में आवेदिका द्वारा महज़ 6 माह की दांपत्य जीवन में आयोग में शिकायत प्रस्तुत किया गया है। अनावेदक ने यह स्वीकार किया है कि वह नशे का आदि है और उसका इलाज नशामुक्ति केंद्र में चल रहा है।…. आपसी सुलह नामा हेतु समय की मांग की गई।