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सिने टॉकीज जैसा “सिनेमा का महाकुंभ” का कार्यक्रम देश के हर जिले में होनी चाहिए –आनंद कुमार

वर्तमान भारत । नेशनल ।

मुंबई /रायपुर/अंबिकापुर–संस्कार भारती, मुंबई विद्यापीठ, इंदिरा गांधी कला केंद्र,मुंबई आर्ट, एवं संस्कृति विभाग भारत सरकार के द्वारा आयोजित दो दिवसीय सिने टॉकीज “सीने सृष्टि भारतीय दृष्टि” जिसे हम सिनेमा का महाकुंभ भी कह सकते हैं का सफल आयोजन किया गया किया गया। जिसमें हिंदी/ तमिल /तेलुगू कन्नड/ मराठी/ भोजपुरी /राजस्थानी/ पंजाबी/ छत्तीसगढ़ी/ असमिया/ बांग्ला सहित सिनेमा के लगभग सभी विधा के लोगों ने भाग लिया वास्तव में यह एक अद्भुत कार्यक्रम था, जिसके द्वारा हम भारतीय सिनेमा को जनसाधारण के साथ-साथ देश विदेश में अपनी फिल्म संस्कृति को स्थापित कर सकते हैं, सच पूछिए तो इस समय भारतीय सिनेमा अपने स्वर्णिम युग में जी रहा है, क्योंकि पूरी दुनिया में भारत में प्रतिवर्ष सबसे ज्यादा फिल्मों का निर्माण होता है। सिनेमा को और ज्यादा जनसाधारण तक पहुंचाने के लिए भारतीय संस्कृति के मूल्यों एवं ऐतिहासिक सामाजिक धरोहरों को बचाए रखने के लिए सिने टॉकीज ऐसा कार्यक्रम देश के हर जिले में होनी चाहिए।


उक्त विचार सरगुजा छत्तीसगढ़ के कलाकार आनंद कुमार गुप्त ने सिने टॉकीज कार्यक्रम में भाग लेकर लौटने के बाद कही है। आनंद ने बताया ज़ी सिनेमा सामाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम है, आजादी की लड़ाई और उसके बाद देश को सशक्त बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा से निभाते रही है। इस वर्ष जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, ऐसे समय में देशभक्ति और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित फिल्मों के द्वारा हम जन जन तक पहुंचने का प्रयास कर सकते हैं। आनंद ने यह भी बताया की सिनेमा के इस महाकुंभ कार्यक्रम में कई हस्तियों से मेरी मुलाकात और बात हुई है, मैंने सभी को छत्तीसगढ़ में सिनेमा को लेकर कार्य करने हेतु आमंत्रित किया है। मैं आशा कर सकता हूं कि भविष्य में छत्तीसगढ़ और भारत सिनेमा के लिए हम बेहतर कार्य कर सकेंगे।