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गुरुवार से छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र…आरक्षण मामले पर प्रदेश में मचा हुआ है बवाल…आरक्षण मुद्दे को लेकर आदिवासी,सरकार सहित राजनीतिक दलों के खिलाफ है लामबंद…हंगामे के आसार…पढ़ें पूरी समाचार

गजाधर पैकरा की रिपोर्ट

रायपुर। वर्तमान भारत। छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र 1 और 2 दिसंबर को बुलाया गया है। इस दो दिवसीय विशेष सत्र के दौरान आरक्षण विधेयक लाया जाएगा। सरकार की कोशिश होगी कि इस विधेयक को चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पास कराया जाए। बावजूद इसके यदि विपक्ष इस आरक्षण विधेयक को समर्थन नहीं देता है, तब भी यह आरक्षण संशोधन विधेयक बहुमत के आधार पर पास हो जाएगा।

विधानसभा में आरक्षण विधेयक पास कराने के बाद सरकार की तरफ से अधिनियम को नौवीं अनुसूची में शामिल करने एक शासकीय संकल्प भी पेश होगा। अधिनियम की नौवीं अनुसूची में शामिल होने के पश्चात उसे किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

1 और 2 दिसंबर का दिन विशेष सत्र में महत्वपूर्ण

सत्र को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि विधानसभा के विशेष सत्र में 1 और 2 दिसंबर का दिन काफी अहम है। बीजेपी सरकार की गलत नीतियों के कारण आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा था। अब उसके लिए विशेष सत्र बुलाया गया। जिसमें सभी वर्गों को आरक्षण का बिल उसमें आएगा।

हम चाहेंगे आरक्षण संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पास हो। विपक्ष से भी इसके समर्थन की अपील करेंगे”। इस दौरान कुछ लोगों के कोर्ट जाने की संभावना पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “यहां बिल लाया जा रहा है ना कि अध्यादेश”।

विशेष सत्र में पेश किया जाएगा विधेयक

कुछ दिन पूर्व भूपेश कैबिनेट की बैठक हुई थी। इस बैठक में आरक्षण अधिनियम की जिन प्रावधानों को उच्च न्यायालय ने रद्द किया है। उसे कानून के जरिए फिर से प्रभावी करने पर सहमति बनी थी।

कैबिनेट में लोक सेवाओं में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रारूप को मंजूरी दी गई थी। इन विधेयकों को 1 और 2 दिसंबर को प्रस्तावित विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा।

जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण हेतु सरकार प्रतिबद्ध

सरकार का कहना है कि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने भी ईडब्ल्यूएस को 10% तक आरक्षण देने को उचित बताया है। उसका भी पालन किया जाएगा।

सदन में सरकार पेश करेगी शासकीय संकल्प

विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 पास कराने के बाद सरकार की तरफ से एक शासकीय संकल्प भी पेश होगा। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा कि प्रदेश में पारित आरक्षण कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर लें।

इस तरह का प्रस्ताव तमिलनाडु ने भेजा था। कर्नाटक भी ऐसा ही कह रहा है। अधिनियम की नौवीं अनुसूची में शामिल होने के पश्चात उसे किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

हाई कोर्ट के निर्णय से एसटी आरक्षण 20% हुआ

राज्य में एसटी को 32% आरक्षण दिया जा रहा था। बीजेपी के सरकार ने यहां 58% आरक्षण लागू किया था। प्रकरण हाई कोर्ट में चल रहा था। कुछ दिन पहले हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

कोर्ट के निर्णय से यहां एसटी का आरक्षण 20% हो गया। जिसके पश्चात प्रदेश के आदिवासी इसे लेकर आंदोलित हैं। राज्य की 90 में से 29 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। चुनावी वर्ष में यह बड़ा मुद्दा बन रहा है। इसलिए सरकार विधेयक लाकर आदिवासियों की मांग को पूरा करने जा रही है।

भानुप्रतापपुर विधानसभा उप चुनाव पर असर पड़ने की संभावना

भानुप्रतापपुर में विधानसभा उपचुनाव चल रहे हैं विधानसभा सत्र की परिस्थितियों का इस चुनाव पर भी असर देखने को मिल सकता है। साथ ही आरक्षण के मुद्दे को लेकर आदिवासी, सरकार सहित राजनीतिक दलों के खिलाफ लामबंद हो गए हैं।

उनके द्वारा सरकार से लगातार उन्हें 32% आरक्षण दिए जाने की मांग की जा रही है। ऐसे में सभी की निगाहें विधानसभा के विशेष सत्र पर टिकी हुई है। इस सत्र के बाद आरक्षण के मुद्दे को लेकर प्रदेश की दिशा और दशा तय होगी।